कोयले के लिए ईको फ्रेंडली प्रौद्योगिकी हो

Webdunia
सोमवार, 14 फ़रवरी 2011 (14:20 IST)
केन्द्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा है कि आने वाले वर्षों में पर्यावरण क्षेत्र में चुनौतियाँ और कठोर होंगी इसे देखते हुए कोयला उत्पादकों और उपभोक्ताओं को ऊर्जा क्षेत्र में लक्षित विकास को हासिल करने के लिए इस मसले पर विशेष ध्यान देना होगा।

जायसवाल ने आज कोयला मंत्रालय और मिशन एनर्जी फाउंडेशन (एमईएफ) के दो दिवसीय कोयला वैश्विक गैसीफिकेशन सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि तेजी से बढ़ रही पर्यावरण संबंधी चुनौतियों और पर्यावरण और वन विभागों की तरफ से खनन गतिविधियों पर पाबंदियों तथा वन विभाग से मंजूरी में आने वाली समस्याओं को देखते हुए कोयला खनन में स्वच्छ प्रौद्योगिकी की अत्यंत आवश्यकता है।

जायसवाल के मुताबिक सरकार इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि कोयला उत्पादकों ओर उपभोक्ताओं को पर्यावरण की आने वाली चुनौतियों को देखते हुए ऐसी आधुनिकतम प्रौद्योगिकी अपनानी होगी जिससे ऊर्जा उत्पादन में कोयला को पर्यावरण के अनुकूल बनाने में मदद मिले।

कोयला मंत्री ने कहा कि बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए देश में कोयला उत्पादन बढ़ाया जाना नितांत जरूरी है। परमाणु और थोरियम से विद्युत उत्पादन में देश अभी बहुत पीछे है। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन में कोयला की विशेष भूमिका है। देश में करीब 60 करोड़ लोगों को बिजली मुहैया नहीं है। सरकार इस चुनौती से पार पाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और इसके लिए पर्यावरण के अनुकूल ढंग से कोयला उत्पादन बढ़ाना बहुत ही जरूरी है।

जायसवाल ने कहा कि कोयला खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी मिलने में आ रही दिक्कतों को देखते हुए कोयला के गैसीकरण अथवा द्रवीकरण के लिए स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की तलाश जारी है। इस सम्मेलन के जरिये सामने आने वाले सुझावों से सरकार को यह जानने में आसानी होगी कि इसे किस तरह से व्यवहार्य बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से कोल को तरल बनाने की प्रौद्योगिकी को जल्द से जल्द अपनाए जाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने को कहा गया है। मौजूदा संयंत्रों में कम निवेश करके कोयला को तरल बनाने की प्रौद्योगिकी अपनाई जा सकती है। भूमिगत कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी को अपनाये जाने की शुरुआत हुई है इसके परिणाम सामने आने हैं।

कोयला मंत्री ने कहा कि सरकार कोयला उत्पादन बढ़ाने पर निरंतर जोर दे रही है। वर्ष 2008-09 में देश में कोयले की माँग करीब 55 लाख टन थी जिसके 2031-32 तक दो अरब टन पहुँच जाने का अनुमान है। कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकारी प्रयासों के साथ-साथ निजी कंपनियों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। चार दौरों में 33 कोयला ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। दो ब्लॉकों में उत्पादन भी शुरू हो गया है।

फाउंडेशन के महासचिव अश्विन कुमार ने कहा कि सम्मेलन में देश विदेश के करीब 300 खनन विशेषज्ञ, इंजीनियर, कोयला उपकरण निर्माता, बिजली कंपनियों के प्रतिनिधि, प्राकृतिक गैर कंपनियाँ, राज्य विद्युत बोर्ड, पर्यावरणविद और इस्पात निर्माता हिस्सा ले रहे हैं।

कुमार ने कहा कि सम्मेलन में कोयला गैसीकरण के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने के उपायों पर व्यापक विचार-विमर्श कर इस संबंध में सरकार को सुझाव दिए जाएँगे। सम्मेलन के सुझावों के जरिये ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्तर को कम करने में के लिए कोयला से ऊर्जा इस्तेमाल की दक्षता में सुधार के नये रास्ते खुलने की उम्मीद है जो देश के विद्युत, इस्पात, सीमेंट और उर्वरक क्षेत्र के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकेंगे। (वार्ता)

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