जीटीएल और आर इंफ्राटेल का सौदा टूटा

Webdunia
सोमवार, 6 सितम्बर 2010 (18:41 IST)
अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्राटेल की टावर परिसंपत्ति का जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रस्तावित 50,000 करोड़ रुपए का विलय सौदा रद्द हो गया है। दोनों कंपनियों ने आज यह जानकारी दी।

आर इंफ्राटेल की मूल कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा है कि उसने टावर परिसपंत्ति की बिक्री के लिए अन्य निवेशकों की तलाश शुरू कर दी है। हालाँकि कंपनी ने जीटीएल इंफ्रा के साथ बात टूटने का कारण नहीं बताया।

जीटीएल इंफ्रा ने बंबई शेयर बाजार को आज दी सूचना में कहा कि दोनों पक्ष किसी समझौते पर नहीं पहुँच सके। दोनों कंपनियों के बीच गैरबाध्यकारी समझौता 27 जून 2010 को हुआ था जो 31 अगस्त 2010 को समाप्त हो गया।

कंपनी ने कहा है कि विभिन्न प्रयासों के बावजूद दोनों कंपनियों ने न तो इस समझौते को आगे बढ़ाया और न ही कोई नया सौदा समझौता किया जैसा कि उसमें कहा गया था। परिणामस्वरूप विलय की प्रक्रिया पूरी नहीं होगी।

अलग से बयान देकर, रिलायंस कम्युनिकेशंस ने कहा कि उसने इसी प्रकार का सौदा करने के लिए रणनीतिक और वित्तीय निवेशकों की तलाश शुरू कर दी है। इस सौदे का मकसद कंपनी के रिण में कमी लाना और आरकॉम के शेयरधारकों को उनके शेयर का निष्क्रिय बुनियादी ढाँचे तथा संबद्ध परिसंपत्ति के जरिये वाजिब मूल्य दिलाना है। ये संपत्ति रिलायंस इंफ्राटेल की है जो आरकाम की 95 फीसद अनुषंगी कंपनी है।

इससे पहले, आरकॉम ने रिलायंस इंफ्राटेल के लिए आईपीओ की योजना बनाई थी लेकिन जीटीएल इंफ्रा के साथ विलय सौदे के प्रस्ताव के बाद इस मामले में कोई विकास नहीं हो पाया। सौदा रद्द होने की घोषणा से आरकॉम और जीटीएल इंफ्रा के शेयर भाव में गिरावट दर्ज की गई है। बंबई शेयर बाजार में दोपहर कारोबार के दौरान जीटीएल इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 2.77 फीसद गिरकर 43.95 रुपए प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। वहीं आरकॉम का शेयर 0.92 फीसद घटकर 161. 90 रुपए प्रति शेयर रहा।

जियोजीत बीएनपी परिबास के सहायक उपाध्यक्ष गौरांग शाह ने कहा, ‘यह कदम आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि सौदे का मूल्य अधिक था तथा आरकॉम के उपर ऋण बोझ जीटीएल इंफ्रा के लिए बड़ी चिंता का कारण था।’ जीटीएल, आरकॉम और उसकी अनुषंगी रिलायंस इंफ्राटेल लि. के निदेशक मंडल ने दुनिया की सबसे बड़ी स्वतंत्र दूरसंचार बुनियादी ढांचा कंपनी के गठन के लिए 27 जून को 50,000 करोड़ रुपए (11 अरब अमेरिकी डॉलर) के विलय सौदे को मंजूरी दी थी।

सूत्रों के अनुसार सौदे से आरकाम को 33,000 करोड़ रुपए के ऋण में 18,000 करोड़ रुपए की कमी करने में मदद मिलती। प्रस्तावित सौदे के तहत नई कंपनी के पास 80,000 टावर होते। ( भाषा)

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