महँगाई से घट रही है परिवारों की बचत

Webdunia
रविवार, 1 मई 2011 (14:31 IST)
आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और शिक्षा पर खर्च बढ़ने से मेट्रो शहरों में पिछले छह साल के दौरान परिवारों की बचत में 45 फीसद की कमी आई है। उद्योग मंडल एसोचैम के सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है।

सर्वेक्षण में 5,000 कर्मचारियों को शामिल किया गया। अधिकांश कर्मचारियों का कहना था कि उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो रही है और उनके रहन-सहन के स्तर में गिरावट आई है। इसमें बताया गया है कि आम आदमी के वेतन में पिछले छह साल में 30 फीसद का इजाफा हुआ है, पर उसका विवेकाधीन खर्च 35 फीसद घटा है।

एसोचैम ने कहा कि औसतन 40,000 रुपए मासिक कमाने वाले कर्मचारी के पास इस तरह के खर्च के लिए सिर्फ 17,000 रुपए बचते हैं। कर्मचारियों को औसतन 6,000 से 8,000 रुपए आवास ऋण या किराए पर, 5,000 रुपए कार ऋण या दोपहिया पर तथा 7,000 से 10,000 रुपए शिक्षा और एफएमसीजी पर खर्च करने पड़ते हैं।

सर्वेक्षण में शामिल 70 फीसद कर्मचारियों का कहना था कि उनके वेतन में वृद्धि रहन-सहन के खर्च की तुलना में नहीं हुई है। सब्जियों से लेकर पेट्रोल, मकान के किराए सभी में इतना ज्यादा इजाफा हुआ है कि उनके पास बचत के लिए कुछ नहीं बचता।

मार्च में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई की दर 8.98 प्रतिशत पर थी, जो 5 से 6 फीसद के संतोषजनक स्तर से कहीं ज्यादा है। (भाषा)

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