म्यूचुअल फंड से जुड़े मिथक

Webdunia
- मनीष चौहान, जागो इंवेस्टर.कॉम

म्यूचुअल फंड के साथ कई मिथक जुड़े हुए हैं और आम निवेशक कई बार बगैर सोचे समझे एजेंट/विक्रेता की बातों में आ जाते हैं। इसी का फायदा उठाकर ये एजेंट निवेशकों के साथ धोखा कर जाते हैं। आइए नजर डालते हैं म्यूचुअल फंड से जुड़े कुछ सामान्य मिथकों पर:

1. कम एनएवी वाला म्यूचुअल फंड ज्यादा एनएवी वाले म्यूचुअल फंड से बेहतर होता है :
यह भ्रांति इस तथ्य पर आधारित है कि निवेशक म्यूचुअल फंड की जो एनएवी लेता है वो इक्विटी शेयरों के समान होती है। म्यूचुअल फंड की एनएवी और शेयर की कीमत में तुलना :
एनएवी = (पोर्टफोलियों में मौजूद शेयर की मार्केट वेल्यू + नकद - दायित्व) / युनिट्स की कुल संख्या।

शेयर की कीमत = कंपनी फंडामेंटल्स, माँग-पूर्ती, कंपनी के बारे में लोगों की राय + अन्य जटिल बातें।
यह फंड की क्वालिटी, फंडामेंटल्स और वेल्यू है जो आपके रिटर्सं सुनिश्चित करते हैं। यह युनिट की बुक वेल्यू है, एनएवी नहीं।

उदाहरण के लिए फंड ए की एनएवी 100 रुपए और फंड बी की एनएवी 5 रुपए है और दोनों के पास दस-दस लाख रुपए है। फंड बी की तुलना में फंड ए के फंडामेंटल्स मजबूत है और इसकी प्लानिंग भी फंड भी से अच्छी है।

उम्मीद के अनुसार एक साल बाद उनके रिर्टन 40 और 30 प्रतिशत रहे। अत: ए की एनएवी 140 और बी की एनएवी 6.5 पैसे होगी और बी की तुलना में ए में निवेश फायदेमंद कहा जाएगा।

इसमें समझने वाली बात यह है कि कम एनएवी से केवर आपको ज्यादा एनएवी मिलती है पर फंड का प्रदर्शन उसकी प्लानिंग पर र्निभर करता है।

2. पिछले बेहतर परफार्मेंस वाला म्यूचुअल फंड लेना बेहतर होता है :
म्यूचुअल फंड निवेशकों में यह एक सामान्य धारणा है ‍कि जिन फंडों ने पहले बेहतर परफार्मेंस किया है, उनमें निवेश को प्राथमिकता दी जाती है। लोग मानते हैं कि यदि एबीसी फंड ने पिछले साल 60 प्रतिशत और एक्सवायझेड फंड ने 45 प्रतिशत रिटर्न दिया है तो इस लोग एबीसी फंड में निवेश करना पसंद करेंगे।

निवेशकों को यह समझना चाहिए कि रिटर्न का आंकलन करने के लिए एक या दो साल कम होते हैं। उन्हें 4-5 साल के परिणामों पर नजर डालते हु्ए यह समझना चाहिए की म्यूचुअल फंड का परफार्मेंस कैसा था।

3. एनएफओ बेहतर परिणाम देते हैं :
एनएफओ में तुलना करने के लिए कोई ट्रेक रिकॉर्ड नहीं होता इसलिए वे मार्केट में पहले से मौजूद म्यूचुअल फंड की तुलना ज्यादा रिस्की होते हैं। एनएफओ में निवेश का कोई फायदा नहीं होता, यदि उसके पास कोई अतिरिक्त जादू न हो। एनएफओ में निवेश से उस समय तक बचा जाना चाहिए जब तक उसके पास कोई मजबूत प्लानिंग और यूनिक आइडिया न हो।

4. बहुत सारे म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना बेहतर है :
इस बात को हमेशा याद रखा जाना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति का पैसा 5 या 6 म्यूचुअल फंड्स में नहीं लगा होना चाहिए। चाहे वे अलग-अलग प्रकार के ही क्यों न हो। लोग 20-30 म्यूचुअल फंड खरीद लेते हैं और यह भी नहीं देखते कि वे एक तरह के है या उनकी योजना जैसी है और इन सभी फंडों का इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियों भी एक जैसा है। इन लोगों को कुछ सीमित फंडों में ही पैसा लगाना चाहिए और वे भी अलग-अलग प्रकार के हो।

वे इस तरह खरीदी कर सकते हैं:
* आक्रामक योजना टैक्स सेवर्स
* संतुलित आक्रामकता के साथ टैक्स सेवर
* दो सेक्टर वाले फंड
* बैलेंस फंड
* विशेष परिस्थिति वाले फंड
* ईटीएफ

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