सोना, शेयर और प्रापर्टी के बढ़ते दाम से चिंता

Webdunia
मंगलवार, 2 नवंबर 2010 (19:37 IST)
भारतीय रिजर्व बैंक ने सोना, शेयर और संपत्तियों के तेजी से बढ़ते दाम पर चिंता जताते हुए कहा है कि महानगरों में आवासीय संपत्तियों के दाम वित्तीय संकट गहराने से पहले की स्थिति से भी आगे निकल चुके हैं। हालाँकि, केन्द्रीय बैंक ने फिलहाल ऐसा नहीं कहा है कि इनके दाम इस स्थिति तक पहुँच चुके हैं कि तेजी का बुलबुला फूटने की स्थिति आ गई है।

केन्द्रीय बैंक ने ऋण एवं मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही समीक्षा जारी करते हुए आज कहा है कि बेशक देश में लोगों और कंपनियों की आय में लगातार वृद्धि हो रही है लेकिन फिर भी संपत्तियों के मूल्य में कम समय में इतनी तेजी चिंता की बात है।

समीक्षा में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अधिक नकदी प्रवाह होने और बेहतर रिटर्न मिलने की वजह से देश में विदेशी मुद्रा प्रवाह ज्यादा हो रहा है जिसकी वजह से शेयर बाजार नई ऊँचाइयों की तरफ बढ़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स पहले ही 20000 अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर निकल चुका है और अब तक के रिकॉर्ड स्तर को छूने की ओर अग्रसर है।

आवास और सोने के दाम पर गौर करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि महानगरों में आवासीय संपत्तियों के दाम वित्तीय संकट से पहले के दाम से भी आगे निकल चुके हैं जबकि सोने के दाम अब तक के रिकॉर्ड स्तर पर बोले जा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट गहराने से पहले भी देश दुनिया में संपत्तियों के दाम काफी चढ़ गए थे।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि उभरते बाजारों की अर्थव्यवस्थाओं में विदेशी संस्थागत निवेशकों का पूँजी प्रवाह बढ़ने से घरेलू मुद्राओं में तेजी आई है और इसी के साथ संपत्ति के दाम चढ़े हैं। संपत्ति की कीमतों में अनाप-शनाप वृद्धि को रोकने के लिए आरबीआई ने बैंकों से आवास ऋण के लिए अलग से अतिरिक्त राशि रखने को कहा है। संपत्ति के महँगा होने के मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने आवास ऋण की सीमा को संपत्ति मूल्य के 80 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है। साथ ही 75 लाख रुपए या अधिक के आवास ऋण पर जोखिम का भार बढ़ा दिया है।

वैश्विक संपत्ति परामर्शक जोंस लैंग लासाले मेघराज के कंट्री प्रमुख अनुज पुरी ने कहा कि स्पष्ट तौर पर भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि प्रापर्टी बाजार में सट्टेबाजी चल रही है। वह इस पर लगाम लगाना चाहता है। इसीलिए आरबीआई ने रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए कड़ा रुख अख्तियार किया है। दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों को लेकर काफी होहल्ला है, पर मझोले शहरों पर यह बात लागू नहीं होती। (भाषा)

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