आईआईटी में फेल बना आईएएस टॉपर

यूपीएससी टॉपर गौरव अग्रवाल की सक्सेस स्टोरी

Webdunia
* मनोज खांडेक र

आईआईटी में फेल… आईआईएम में एडमिशन मांगने गए तो भगाया...एक सप्ताह पहले शादी… पुलिस अफसर बनने की ट्रेनिंग… और यूपीएससी में टॉपर… अमूमन मुंबईया मसाला फिल्मों की कहानियों का नायक कुछ इसी तरह… नाटकीय उतार-चढ़ाव के बीच और हर जगह हारने के बाद… अंत में विजयी होता हैं, क्योंकि दर्शकों की डिमांड कुछ ऐसी ही होती है… वह अपने नायक को अंत में जीतते हुए देखना चाहते थे… रील लाइफ में ऐसी सक्सेस स्टोरी की लंबी फेहरिस्त है… लेकिन रियल लाइफ में कुछ ऐसे ही कर दिखाया है… गौरव अग्रवाल ने…। गौरव अग्रवाल की सफलता कहानी को जानने के लिए हमे पीछे चलना होगा… जिसे फिल्मों में फ्लेश बैक कहा जाता है।

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गौरव अग्रवाल पढ़ने में बचपन से ही बेहद होशियार थे। उम्र बढ़ती गई और साथ ही बढ़ती गई काबिलियत। फिर बारी आई आईआईटी की। देशभर में 45वीं रैंक हासिल करने के बाद गौरव अग्रवाल ने आईआईटी कानपुर में दाखिल लिया। बस यहीं से गौरव की उड़ान थम गई।

किसी और ने नहीं बल्कि खुद के ईगो ने उनके पर कतर दिए। आईआईटी में दाखिले के बाद गौरव में गुरूर आ गया और वे खुद को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ समझने लगे। हालांकि, यह ईगो ज्यादा समय तक नहीं टिका। पढ़ाई से मन दूर हुआ और नतीजों में यह नजर आने लगा। गौरव अग्रवाल फेल होने लगे। देश का टॉपर स्टूडेंट अति आत्मविश्वास का शिकार होने लगा। जिसे वे खुद विनाश काले विपरीत बुद्धि की संज्ञा देते हैं।

जो डिग्री चार साल में पूरी होना थी गौरव उसमें पिछड़ गए। उन्हें फेल होने की वजह से डिग्री हासिल करने में ज्यादा वक्त लगा। इसके बाद उनके पास कोई जॉब नहीं था। आईआईएम में प्रवेश के लिए वह जहां भी गए, उनका पुराना रिकॉर्ड देखकर उन्हें भगा दिया गया। सब दूर से केवल और केवल निराशा ही थी। इस बीच किस्मत ने थोड़ा साथ दिया।

गौरव को आईआईएम लखनऊ से मौका मिला। इसके बाद गौरव ने पीछे मूड़कर नहीं देखा। उन्हें मेहनत के मायने समझ में आ गए थे। वे ज्यादा फोकस हो गए। करियर के प्रति ज्यादा सतर्क भी। नतीजा यह रहा कि आईआईएम में गोल्ड मेडल हासिल हुआ। हांगकांग में बिजनेस बैंकर की नौकरी मिली।

अगले पन्ने पर, आम लोगों के लिए कुछ करने का सपना...


मोटी तनख्वाह मिलने के बावजूद गौरव का दिल स्वदेश में लगा हुआ था। गौरव का सपना था कि वह समाज व आम आदमी के लिए कुछ करें। कुछ इसी सोच के कारण तीन साल नौकरी करने के बाद गौरव ने पिता के सामने वापस भारत लौटने की इच्छा जताई। पिता भी चाहते थे बेटा घर आए। वे तुरंत इस प्रपोजल के लिए राजी हो गए। हालांकि गौरव के मन में क्या था। यह कोई नहीं जानता था। नौकरी के अंतिम दौर में पढ़ाई कर उन्होंने खुद को परख लिया था कि वे प्रतियोगी परीक्षा को क्रेक कर सकते है।

मैनेजमेंट की नौकरी कर आम लोगों से दूर हो गए। गौरव को लगा कि वे आम लोगों के लिए कुछ खास नहीं कर पाएंगे। ऐसे में उन्होंने परिवार की परंपरा के तहत आईएएस बनने का फैसला लिया। पहले ही प्रयास में वे आईपीएस में सिलेक्ट हो गए। वर्तमान में वे हैदराबाद में इसी की ट्रेनिंग हासिल कर रहे हैं। हालांकि इससे भी वे संतुष्ट नहीं थे। पुलिस सेवा को भी वे जनता की सेवा का माध्यम नहीं मानते हैं, इसलिए दूसरी बार फिर उन्होंने कोशिश की। और इस बार न केवल उन्होंने टॉप किया बल्कि चार सालों से चले आ रहे लड़कियों के रूतबे को भी खत्म किया।

क्रिकेट खेलने के शौकीन गौरव अग्रवाल की पिछले सप्ताह ही शादी हुई है। गौरव की पत्नी डॉ. प्रीति अग्रवाल मेडिकल में पीजी कर रही हैं। वे भी बेहद खुश हैं। हालांकि जब सबसे पहले फोन परगौरव ने सबकों फर्स्ट आने की बात बताई तो किसी को यकीन नहीं हुआ, लेकिन अब यह हकीकत है। आईआईटी में फेल हो चुके, आईआईएम में एडमिशन से इंकार किए गए, इन्वेंस्टमेंट बैंकर अब देश के टॉपर हैं।

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