कीवियों के घर में सचिन का धमाल

Webdunia
- सीमान्त सुवी र
सचिन रमेश तेंडुलकर ने क्राइस्टचर्च के विकेट पर 163 रनों की जो लाजवाब पारी खेली, उसका इंतजार वे खुद बरसों से कर रहे थे। वाकई सचिन का बल्ला आग उगल रहा था और न्यूजीलैंड के नौसिखिए गेंदबाज इस मास्टर ब्लास्टर के आगे इतने बेबस थे कि समझ ही नहीं पा रहे थे कि वे गेंद किस दिशा में डालें? फ्रंट फुट और बैक फुट पर सचिन का समान रूप से एकाधिकार है। वे लंबे अरसे से कीवी पिच पर अपने वनडे करियर के पहले शतक का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

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भारत में जब रविवार की सुबह लोग नींद से जागकर चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ने में लगे हुए थे, तब तक सचिन क्राइस्टचर्च में 43वाँ एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय शतक ठोंक चुके थे। विटोरी की अनुपस्थिति में कप्तानी कर रहे ब्रेडन मैक्कुलम को यह तो पता था कि विकेट रनों से भरपूर है, लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि 'भारतीय क्रिकेट का भगवान' कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर यहाँ उनके गेंदबाजों की बखिया उधेड़ने के लिए बेताब हैं।

सहवाग (3) के पैवेलियन लौटने के बाद सचिन ने गंभीर को नॉन स्ट्राइक एंड पर ही खड़े रहने दिया और एक खूँटा पकड़कर रनों की पकी फसल काटना शुरू कर दिया। यही कारण है कि गंभीर केवल 15 रनों का ही योगदान दे सके। स्थानीय दर्शकों को क्रिकेट का असली आनंद तब आया, जब सचिन और युवराज गेंदबाजों पर टूट पड़े।

  यदि सचिन 24 रन और बना लेते तो अपने ही वनडे के उच्चतम स्कोर के पार निकल जाते। सचिन के वनडे करियर का उच्चतम स्कोर 186 रन है, जो उन्होंने हैदराबाद में न्यूजीलैंड के खिलाफ ही बनाए थे       
सचिन के दिमाग में यही खुन्नस थी कि आखिर क्या कारण है कि उनका फार्म कीवी जमीन पर चल ही नहीं रहा है। हालाँकि वेलिंग्टन में जब उन्होंने बारिश में बहे दूसरे वनडे मैच में 61 रन की पारी खेली थी, तभी यह लगने लगा था कि मास्टर ब्लास्टर अगले मैच में जरूर कमाल करेंगे।

रविवार को सचिन ने महज 133 गेंदों का सामना किया और 16 चौकों के साथ 5 छक्के उड़ाकर नाबाद 163 रन कूटे और जब पेट की माँसपेशियों के दर्द ने उन्हें विकेट पर खड़े रहने लायक नहीं रहने दिया, तब वे खुद ही पैवेलियन चल दिए। यह जरूर है कि यदि सचिन 24 रन और बना लेते तो अपने ही वनडे के उच्चतम स्कोर के पार निकल जाते। सचिन के वनडे करियर का उच्चतम स्कोर 186 रन है, जो उन्होंने हैदराबाद में न्यूजीलैंड के खिलाफ ही बनाए थे।

सचिन का न्यूजीलैंड की जमीन पर रिकॉर्ड बेहद खराब रहा है। उन्होंने पिछले 2 वनडे को मिलाकर कुल 21 मैच खेले थे। इसमें सर्वाधिक स्कोर 84 रन का रहा था। 1992 के विश्व कप में उन्होंने ये 84 रन ड्‍नेडिन में न्यूजीलैंड के खिलाफ बनाए थे। इसी विश्व कप में वे जिम्बाब्वे के खिलाफ 81 रन बनाने में कामयाब रहे थे।

1994 के न्यूजीलैंड दौरे में जरूर दो मर्तबा 82 और 63 रनों की पारी खेली थी, लेकिन उसके बाद तो ऐसा लगा कि सचिन के बल्ले को यहाँ जंग ही लग गया हो। 2002 में तीन मैचों में वे केवल 2 रन ही बना सके और आलोचक तो उन्हें बल्ला टाँगने की नसीहत देते नजर आए।

  धोनी सिरीज शुरू होने से पहले ही ऐलान कर चुके थे दौरे की शुरुआत में तीन दिन में लगातार 2 ट्‍वेंटी-20 मैच हारने के बावजूद उनके धुरंधरों के इरादे इसलिए भी बुलंद हैं, क्योंकि सचिन तेंडुलकर आ गए हैं। उनके आते ही ड्रेसिंग रूम का माहौल पूरी तरह बदल जाता है      
पाँच वनडे मैचों की सिरीज शुरू होने के पहले भी सचिन तेंडुलकर ने मीडिया के कई ताने सहे। मीडिया यह गिनाता रहा कि सचिन की पिछली 11 पारियों में एक भी अर्धशतक सामने नहीं आया है। 42 वनडे शतक अपने नाम के आगे लिखवाने वाले सचिन रमेश तेंडुलकर 11 पारियों में 40, 13, 37, 47, 0, 23, 45, 5, 0, 1, 1 रन ही बना सके हैं।

सचिन ने न्यूजीलैंड की जमीं पर 163 रनों की नाबाद पारी खेलकर पिछले कलंक को पूरी तरह धो दिया। कप्तान धोनी सिरीज शुरू होने से पहले ही ऐलान कर चुके थे कि दौरे की शुरुआत में तीन दिन में लगातार 2 ट्‍वेंटी-20 मैच हारने के बावजूद उनके धुरंधरों के इरादे इसलिए भी बुलंद हैं, क्योंकि सचिन तेंडुलकर आ गए हैं। उनके आते ही ड्रेसिंग रूम का माहौल पूरी तरह बदल जाता है। यकीनन कप्तान की बात में दम था और सचिन ने इसे पूरी तरह खरा भी साबित किया।

पहले वनडे में अंपायर के गलत फैसले का शिकार हुए सचिन तीसरे वनडे में घायल शेर की मानिंद मैदान पर उतरे और उन्होंने तीसरे विकेट के लिए युवराज के साथ 138 और चौथे विकेट के लिए धोनी के साथ 135 रन की साझेदारी निभाकर अपना 'नायक' वाला किरदार अदा किया। सचिन में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को देने के लिए अभी काफी कुछ बाकी है। भले ही 11 पारियों में उनका बल्ला नहीं चले, लेकिन एक ही पारी में ऐसी यादगार छाप छोड़ जाते हैं, जिससे देखने वाले मंत्रमुग्ध हुए बगैर नहीं रहते।
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