फिक्स था भारत-पाक सेमीफाइनल

Webdunia
शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012 (01:03 IST)
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इंग्लैंड के एक क्रिकेट लेखक ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच गत वर्ष मोहाली में खेला गया विश्वकप सेमीफाइनल फिक्स था और इस बात की जानकारी उसे एक सट्टेबाज से मिली थी।

इंग्लैंड के लेखक और क्रिकेट सट्टेबाजी की गुप्त सूचना देने वाले एड हाकिंस ने अपनी किताब 'बुकी गेम्बलर फिक्सर स्पाई ए जर्नी टू द हार्ट ऑफ क्रिकेट्स अंडरवर्ल्ड' में यह सनसनीखेज खुलासा किया है।

अपनी किताब की शुरुआत में ही हाकिंस ने बताया कि किस तरह उन्हें गत वर्ष भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वकप सेमीफाइनल के दौरान एक सट्टेबाज से संदेश मिला, जिसने मैच के बारे में सटीक भविष्यवाणी कर दी थी।

हाकिंस ने कहा, मैंने यह मैच अपने एक दोस्त के साथ मिलकर देखा और मुझे बडी हैरानी हुई कि जो कुछ बताया गया था, वही परिणाम निकला। भारत ने यह मैच जीता था।

इंग्लिश लेखक ने कहा कि अपनी पड़ताल के दौरान उन्हें 45 पूर्व और मौजूदा अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू क्रिकेटरों के नाम मिले, जो कथित रूप से भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त बताए जाते हैं। किताब में इनमें से किसी का नाम नहीं दिया गया है।

इंग्लिश लेखक ने साथ ही यह भी कहा कि भारत में प्रसारित किए जा रहे इंग्लिश काउंटी एकदिवसीय मैचों पर अब सट्टेबाजों और फिक्सरों की नजर लगी हुई है। हाकिंस ने भारत में अवैध सट्टेबाजी अंडरवर्ल्ड की पड़ताल कर अपनी किताब में कई खुलासे किए हैं।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की भ्रष्टाचाररोधी और सुरक्षा इकाई के पहले निदेशक पॉल कोंडोन और आईपीएल शुरू करने का श्रेय रखने वाले ललित मोदी का भी लंबा साक्षात्कार लिया।

हाकिंस भारत में कई सट्टेबाजों और फिक्सरों से भी मिले। उन्होंने बताया कि भारतीय सट्टेबाजों की सभी तरह की क्रिकेट में चार पहलुओं पर नजर रहती है। पारी का स्कोर, मैच का परिणाम, इंटरवल तक प्रबल दावेदार और ब्रेकेट स्कोर जैसे 50 ओवर में दस ओवर के अंतराल में कितने रन बनेंगे और टी-20 में छह ओवर के अंतराल में कितने रन बनेंगे।

इंग्लिश लेखक ने साथ ही कहा कि उन्होंने यह जानकारी क्रिकेट अधिकारियों को भी दी है, लेकिन कानूनी कारणों से उन्होंने काफी जानकारी अपनी किताब में नहीं डाली है। उन्होंने कहा, मैं अब मैच को उस नजरिए से नहीं देख सकता। जैसे मैं पहले देखा करता था। जब आप ऐसी अवैध गतिविधियों के इतना नजदीक पहुंच जाओ और इतनी चीजों की आपको जानकारी हो जाए तो फिर मैच पर आपका विश्वास नहीं रहता।

लेखक का यह भी कहना है कि मैच फिक्सिंग के लिए कम से कम एक कप्तान की सहमति की जरूरत होती है, जबकि स्पॉट फिक्सिंग केवल एक भ्रष्ट खिलाड़ी से की जा सकती है, जो मैच में किसी भी क्षण बल्ले या गेंद से खराब प्रदर्शन करने के लिए तैयार रहता हो। यही कारण है कि अब फोकस मैच फिक्सिंग से हटकर स्पॉट फिक्सिंग पर चला गया है। (वार्ता)

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