सौरव पर हमेशा लटकती रही है तलवार-गायकवाड़

Webdunia
नई दिल्ल ी। पूर्व मुख्य चयनकर्ता अंशुमन गायकवाड़ ने सौरव गांगुली के इस बयान का समर्थन किया है कि हर बार उनके सिर पर तलवार लटकती रही है और इससे निजात पाने के लिए ही उन्हें संन्यास का फैसला लेना पड़ा। वहीं पूर्व चयनकर्ता कीर्ति आजाद का कहना है कि कई सीनियर खिलाड़ी टीम पर बोझ बन चुके हैं।

गांगुली ने एक बांग्ला दैनिक को दिए इंटरव्यू में कहा है कि भारत के लिए 400 मैच खेलने के बाद सिर्फ एक श्रृंखला में खराब प्रदर्शन के कारण उन पर गाज गिरी जबकि दूसरे ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो खराब खेलने के बावजूद टीम में हैं। गांगुली ने दिलीप वेंगसरकर की अध्यक्षता वाली पूर्व चयन समिति को भी आड़े हाथों लिया। इस बारे में संपर्क करने पर वेंगसरकर ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

पूर्व मुख्य चयनकर्ता गायकवाड़ ने कहा कि सौरव और वीवीएस लक्ष्मण हमेशा ही चयनकर्ताओं के निशाने पर रहे हैं और उनके साथ ज्यादती हुई है। आजाद का तो यह भी कहना है कि 2006 और 2007 में भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद गांगुली पर महज एक श्रृंखला में खराब प्रदर्शन के लिए गाज गिरी जबकि सचिन तेंडुलकर समेत कई सीनियर खिलाड़ी अपेक्षाओं पर लगातार खरे नहीं उतर सके हैं।

गायकवाड़ ने कहा मुझे लगता है कि सौरव और लक्ष्मण पर तलवार हमेशा लटकती रही है। जिस सौरव को मैं जानता हूँ वह एक योद्धा है, जिसने परिस्थितियाँ प्रतिकूल होने पर भी विजेता की तरह वापसी की है, लेकिन लगता है कि हालात के आगे अब उन्होंने घुटने टेक दिए हैं।

उन्होंने कहा कुछ हफ्ता पहले ही उन्होंने ईडन गार्डन पर काफी पसीना बहाया और वह हमेशा की तरह टीम में शानदार वापसी के लिए मेहनत कर रहा था। मुझे समझ में नहीं आता कि चंद दिनों में ऐसा क्या हो गया जो उन्हें यह फैसला लेना पड़ा।

उन्होंने कहा कि संन्यास का फैसला एक खिलाड़ी की जिंदगी का सबसे अहम फैसला होता है। मुझे लगता है कि उसे दो टेस्ट की मोहलत दी जानी चाह ि ए थी। अगर वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छा खेलता है तब क्या होगा।

वहीं पूर्व टेस्ट क्रिकेटर आजाद ने कहा सौरव ने 2006-07 में टीम से बाहर होने के बाद वापसी करते हुए बेहतरीन खेल दिखाया। उस समय जबकि टीम के बाकी अनुभवी सितारे नहीं चल रहे थे। इसके बावजूद उसे ईरानी कप के लिए टीम में जगह नहीं दी गई। पता नहीं चयनकर्ताओं के जेहन में क्या था।

आजाद ने कहा रन बनाने की गारंटी तो सचिन तेंडुलकर भी नहीं दे सकते। उम्र ही मानदंड है तो बाकियों के साथ सौरव से अलग सलूक क्यों। कई और खिलाड़ी हैं जो टीम पर बोझ बनते जा रहे हैं। कुछ क्रिकेटर खुद को खेल से बड़ा समझने लगे हैं।

दोनों पूर्व चयनकर्ताओं का मानना है कि सीनियर खिलाड़ियों को संन्यास का फैसला खुद लेकर बोर्ड को सूचित करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि फैब फोर यानी राहुल द्रविड़, सचिन, लक्ष्मण और अनिल कुंबले को भी अब अपने संन्यास की समय सीमा तय कर लेनी चाहिए। (भाषा)

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