आम आदमी के ख्वाबों में दखल

व्यंग्य

Webdunia
अमर स्नेह
ND
चचा जान ने कुछ दिन पहले तहसीलदार के कार्यालय में घूस माँगने का जब विरोध किया तो कर्मचारियों ने उनकी जमकर पिटाई की और सरकारी अफसर से हाथापाई के जुर्म में पुलिस को सौंप दिया, वहाँ भी उन्हें गुंडा करार देकर खूब पिटाई की गई। जैसे-तैसे उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया। वह आजकल हिल-डुल नहीं सकते थे, घर के किसी कोने में दुबके पड़े रहते हैं, बहुत हुआ तो कोना बदल डालते हैं। उन्हीं चचाजान के ताजातरीन ख्वाब का सीधा प्रसारण आपकी नजर है, गौर फरमाएँ।

एक संभ्रात महिला चचाजान के ख्वाब में आई और कहने लगी, 'यकीन कीजिए, मैं गवाह हूँ कि मेरे लड़के ने बचपन में अपने घर से कभी एक नया पैसा भी चुराया हो और ये कमबख्त मीडिया है कि मेरे पाक-साफ बेटे पर इल्जाम लगा रहा है कि रिश्वत ली, फलाना किया...बताइए ये ज्यादती है कि नहीं।' चचाजान जरा तार्किक हो बोले, 'घर में चोरी-चकारी के इल्जाम से तो बरी हैं आपके सुपुत्र मगर बात माल-खजाना बाहर से घर में लाने की है।'

महिला कुछ सोचते हुए बोली, 'पर मेरा बेटा बिल्कुल बेकसूर है। यह बात मैं गीता प्रेस, गोरखपुर की असली गीता और रामायण दोनों पे हाथ रखके कह सकती हूँ।'

चचाजान ने बात को समझाते हुए कहा, 'बहन हो सकता आपके सुपुत्र जी ने सोहबत के असर की वजह से ऐसा-वैसा कुछ कर डाला हो ? महिला ने अपनी सहमती जताई, 'आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। बात असल में सोहबत की है वरना मेरे लड़के और सत्यवादी हरिश्चंद्र में कोई अंतर है ही नहीं।

चचाजान ने यूँ ही पूछ लिया, 'वैसे आपके हरिश्चंद्र तुल्य सुपुत्र करते क्या हैं ?' महिला ने गौरवान्वित होते हुए कहा, 'मेंबर ऑफ पार्लियामेंट हैं। चचाजान सकते में आ गए फिर संभलते हुए बोले, 'बहन आपके सुपुत्र पाक-साफ, बेगुनाह। उन्होंने जो कुछ भी किया या करवाया हो, रेप-टेप मर्डर, घपला-लफड़ा ! जो भी घूस ली हो, जो भी सार्वजनिक माल हड़पा हो, सरकारी जमीनें या दलाली ली हो... इन सबमें मुझे सोहबत का ही असर नजर आता है। वह बेकसूर हैं। बहन आप परेशान न हों, भारतीय प्रजातंत्र की रक्षा के लिए चचाजान ने नेता-माता को दिलासा देते हुए कहा, 'वह दिन दूर नहीं जब नेता लोग पार्लियामेंट में ऐसा कानून पास कर लेंगे कि भारतीय अदालतों में उनके किसी भी राष्ट्रीय कुकर्म और जुर्म के लिए उन पर मुकदमा न चल सके।'

नेता जी की माता ने भारतीय प्रजातंत्र के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा,'वह प्रजातंत्र के लिए कितना भाग्यशाली दिन होगा जब ऐसा हो जाएगा।' 'बहन वैसे भी आप चिंता न करें जब तक ऐसा नहीं होता तो डरने की कोई जरूरत नहीं । आज तक कभी भी किसी नेता को किसी जुर्म-कुकर्म के लिए कोई सजा नहीं मिली है।

इसी बीच चचाजान ने करवट बदली और उनकी नींद उड़ गई पर ये सोचते-सोचते चचाजान की फिर से आँख लग गई कि ये महिला उनके पास ही क्यों आई। तभी वह महिला फिर से ख्वाब में प्रकट हुई और कहने लगी, 'दुनिया कहाँ से कहाँ निकल गई है और भारत की जनता 21वीं सदी में पहुँचकर भी बुनियादी समस्याओं रोटी-कपड़ा-मकान का निजस्वार्थ वाला सपना देखती रहती हैं लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। देश को आगे बढ़ने से अब भारत की आम जनता नहीं रोक सकती। राष्ट्र के लिए राष्ट्र-नायकों के हितों के सपनों को साकार करना ही होगा।

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