देश का आधा हिस्सा सूखे की चपेट में

Webdunia
सोमवार, 31 अगस्त 2009 (15:50 IST)
ग्लोबल वार्मिंग, पर्यावरण असंतुलन और मानव द्वारा प्रकृति के साथ बढ़ती छेड़छाड़ के परिणाम स्वरूप देश का लगभग आधा हिस्सा सूखे की चपेट में आ गया है।

सामान्य से करीब 29 प्रतिशत कम बारिश होने से भादो माह में देश के एक के बाद एक जिले सूखे की चपेट में आते जा रहे है। देश के सूखा प्रभावित 11 राज्यों के सभी जिले सूखा प्रभावित घोषित किए जा चुके हैं।

मध्यप्रदेश भी सूखे की चपेट आ गया है। प्रदेश के 50 में से 37 जिले सूखा प्रभावित घोषित किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 17 अगस्त को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मिलकर सूखे से मुकाबला करने के लिए 11 हजार 669 करोड 68 लाख रुपए की मदद की माँग की है। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य है जहाँ वर्ष 2003-04 को छोड़ दे तो पिछले दस वर्षो में सूखे की स्थिति निर्मित होती रही है।

मध्यप्रदेश में अवर्षा के कारण उत्पन्न हुई स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार से विशेष पैकेज देने की माँग की है।

राज्य में 17 अगस्त तक औसतन 435 मिली मीटर वर्षा हुई है जो सामान्य से 33 प्रतिशत कम है। प्रदेश में खरीफ फसलों के क्षेत्र में लगभग छह लाख हेक्टेयर की कमी आई है।

राज्य सरकार ने प्रदेश के प्रत्येक जिले की आकस्मिक कार्य योजना तैयार की है। केन्द्र सरकार ने अवर्षा से प्रभावित किसानों को सिंचाई के लिए गत 15 जुलाई तक डीजल पर 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की है। राज्य सरकार ने केन्द्र से यह अनुदान 10 अगस्त की स्थिति में वर्षा की 40 प्रतिशत कमी वाले जिलों के किसानों को देने की माँग की है। इसी तरह राज्य ने कृषि आदान सामग्रियों के अनुदान के लिए इनपुट सब्सिडी के रूप में 400 करोड़ रुपए की केन्द्र से माँग की है।

मुख्यमंत्री चौहान ने केन्द्र से सूखा प्रभावित क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 180 दिन का रोजगार और अन्य जिलों में 100 दिन का रोजगार देने की माँग की है। वही राज्य सरकार ने सूखे से निपटने के लिए अनेक निर्णय लिए है। जिसमें किसानों के लिए पर्याप्त विद्युत व्यवस्था, कम पानी में लगने वाली फसलों और सब्जियों को प्रोस्ताहन, पड़त भूमि में जल संरक्षण, कटाव को रोकने के कार्य शामिल है।

मध्यप्रदेश के राजस्व राज्य मंत्री करण सिंह वर्मा का कहना है कि इस वर्ष पहले मानसून देरी से आया और फिर वर्षा जल की मुख्य आवश्यकता वाले 14 दिनों में अवर्षा की स्थिति निर्मित होने से राज्य में खरीफ फसलों को बहुत नुकसान पहुँचा है।

उन्होंने कहा कि राज्य में सूखे की स्थिति का सामना करने के लिए कृषि विभाग को 403 करोड 62 लाख, उद्यानिकी विभाग को 20 करोड़ 61 लाख, वन विभाग को 30 करोड़ रुपए, ग्रामीण विकास विभाग को 3547 करोड़, जल संसाधन विभाग को 1264 करोड़ रुपए की जरूरत है।

इसी प्रकार लोक निर्माण विभाग को 230 करोड़ 65 लाख, ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल प्रदाय के लिए 313 करोड़ 40 लाख, शहरी क्षेत्रों में पेयजल प्रदाय के लिए 1174 करोड 54 लाख, पशु पालन विभाग को 1470 करोड़ नौ लाख, मत्स्य पालन विभाग को आठ करोड़ 48 लाख और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को 207 करोड़ रुपए की आवश्यकता है।

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