ऐतिहासिक स्थलों की नगरी शिवपुरी

Webdunia
नेहा मित्तल
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हल्की-हल्की बूँदों की वर्षा हो रही थी। प्रभात ने घने काले बादल की चुनरी ओढ़ रखी थी। सखियों के साथ मैं टाटा सफारी में सवार होकर आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर जा रही थी कि हमें एक ढाबा खुला दिखाई दिया। प्रातः पाँच बजे थे, मन कर रहा था कि हमें गरमागरम चाय मिल जाए तो सफर तय करना और भी आसान हो जाएगा।

गाड़ी ढाबे के पास रुकी, हमारी नज़र कोयले की आँच पर बन रही चाय से निकलते धुएँ पर पड़ी एवं उसके साथ-साथ नाश्ते के लिए बाजरे की रोटी तथा सब्जी मिली। ढाबे के चारों ओर हरियाली नज़र आ रही थी, रंग-बिरंगे महुए एवं पलास के फूल खिले हुए थे जिन पर वर्षा की बूँदें मोती की तरह चमक रही थीं।

इंदौर से शिवपुरी तक का सफर हम लगभग तय कर चुके थे। गुना क्षेत्र से हम गुजरते हुए शिवपुरी ज़िले में पहुँचे। हमारी नज़र यहाँ के पहा़डों पर पड़ी, जिन पर हरियाली थी एवं घने जंगल स्थित थे। वादियों के मध्य प्रकृति की गोद से झरने बह रहे थे एवं उठती सूर्य की किरणों के प्रकाश में वे झिलमिलाते, बलखाते हुए नदियों की ओर बह रहे थे।

गुना जिले से हम जब शिवपुरी नगर की ओर गाड़ी में सफर कर रहे थे तब हमने देखा कि सिंध नदी गुना से उत्तर दिशा से बहती हुई भिड़ से चंबल नदी से जा मिलती है। शिवपुरी की चार मुख्य नदियाँ हैं सिंध, कूनो, बेतवा एवं पार्वती ।

कहते हैं कि शिवपुरी का माधव नेशनल पार्क, विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों के लिए बहुत ही प्रसिद्ध है। मुख्य रूप से नहार बाघ, तेंदुआ, लक्कड़ बग्घा, तरक्षु, भालू, सांभर आदि जानवर यहाँ पर पाए जाते हैं। वर्षा के आने से मोर अपने रंग-बिरंगे पंख को फैला देते हैं। उपस्थित जनता खूबसूरत दृश्य की प्रशंसा करने लगी तथा कैमरे से छायाचित्र लेने लगी।

नेशनल पार्क में पक्षी एवं जानवरों का हमने जीवंत रूप देखा। माधव विलास महल में सिंधिया राजवंश ग्रीष्म काल के समय निवास करते थे। वन वाटिका के मध्य स्थित यह महल गुलाब के फूल के समान प्रतीत हो रहा था। महल के भीतर कला की सुंदर मूर्तियाँ प्रदर्शित थीं। सुंदर आकृतियों वाले महल की छत से शिवपुरी नगर एवं माधव नेशनल पार्क नजर आते हैं। खूबसूरत चित्रकला से महल के विभिन्न कक्षों को सजाया गया था। अब यह महल भारत सरकार के अधीन है।

शिवपुरी में पर्यटक महाराजा एवं राजकुमारों द्वारा बनाई गई छतरियों को देखने आते हैं। इस ऐतिहासिक स्थल पर विभिन्न गाथाएँ एवं प्राचीन कहानियाँ सुन सकते हैं। ये छतरियाँ संगमरमर की हैं एवं इन पर सुंदर आकृतियाँ उकेरी गई हैं। सिंधिया राजकुमारों ने इन्हें मुगल वाटिका में स्थापित किया था। इस स्थान पर माधवराव सिंधिया की छतरी स्थित है उसी तरह महारानी सँख्याराजे सिंधिया की सुंदर छतरी भी है। हिंदू एवं इस्लामी के वास्तुशिल्पीय मिश्रित रूप नजर आते हैं। राजपूत एवं मुगल परम्पराओं के वास्तुशिल्पीय को रूपांतर करती कला दर्शकों को अपनी ओर आकृष्ट करती है ।

  ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन करने में काफी देर हो गई थी। सूरज ढलने वाला था कि हमारी दृष्टि जॉर्ज किले की ओर आकर्षित हुई। सँख्या सागर के तट पर स्थित इस किले को जीवाजीराव सिंधिया ने निर्मित किया था।      
ऐतिहासिक स्थलों के दर्शन करने में काफी देर हो गई थी। सूरज ढलने वाला था कि हमारी दृष्टि जॉर्ज किले की ओर आकर्षित हुई। सँख्या सागर के तट पर स्थित इस किले को जीवाजीराव सिंधिया ने निर्मित किया था। परंतु इस किले की एक विशेषता है जो अक्सर आम किलों के स्थान पर देखी नहीं जाती, वह यह है कि यह महल माधव नेशनल पार्क के अंदर स्थित है। इसलिए महल की सुंदरता और निखर उठती है जब किले के चारों ओर घने जंगल स्थित हैं।

प्राचीन महलों एवं प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों के दर्शन कर जब हम वापस लौट रहे थे तब हमने वहाँ के स्थानीय रंगमंच एवं लोकगीत सुने जो आदिवासी लोगों ने पात्रों के माध्यम से दर्शाए थे। कार्यक्रम के अंत में हम होटल वापस लौट आए।
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