महात्मा गांधी : स्वतंत्र भारत के पिता

राष्‍ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती

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नाटककार बर्नार्ड शॉ ने महात्मा गांधी के बारे में उचित ही कहा था कि आने वाली पीढ़ियां बड़ी मुश्किल से विश्वास कर पाएंगी कि कभी संसार में ऐसा व्यक्ति भी रहा होग ा, जो आधुनिक स्वतंत्र भारत के पिता, नवराष्ट्र के निर्माता और भाग्य-विधाता ऐसी काफी सारी विविधताएं लिए कोई अनूठा व्यक्ति भारत में जन्मा होगा।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर 2 अक्टूबर सन्‌ 1869 ई. में हुआ था। पिता राजकोट के दीवान थे। माता कबीर पंथी और धार्मिक विचारों वाली सीधी महिला थीं। पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गांधी था।

बालक मोहन भावनात्मक एवं आचार-विचार की दृष्टि से माता के अधिक निकट पड़ते थे। इनकी आरंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही हुई। अट्ठारह वर्ष की आयु में मैट्रिक पास किया और उच्च शिक्षा पाने इंग्लैंड चले गए। साल और सीधे ढंग से शिक्षा पाते हुए बैरिस्टर बनकर भारत लौट आए। तब तक इनकी आदर्श माता स्वर्ग सिधार चुकीं थी। जो हो दुखी मन से वकालात करने लगे।

मैट्रिक में पढ़ते समय ही इनका विवाह हो गया था, सो परिश्रमपूर्वक पढ़ा लिखाकर पत्नि कस्तूरबा गांधी को भी अपने योग्य बनाया। वकालत करते समय एक गुजराती व्यापारी का एक मुकदमा निपटाने के लिए गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा।

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वहां भारतीयों की दुर्दशा तो देखी ही, अपने साथ बार-बार हुए अपमानजन व्यवहार को भी सहन किया। तब सहकर ये चुप न रह सके और काले-गोरे के प्रश्न को लेकर भारतवासियों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए वहीं संघर्ष आरंभ कर दिया।

स्व‍तंत्रता मिलने के बाद प्रार्थना-सभाओं के दौरान ऐसी ही एक सभा में 30 जनवरी सन्‌ 1948 की शाम एक सरफिरे की तीन गोलियों का शिकार हो, अंतिम राम-नाम का उच्चारण करते हुए ये सदा की नींद सो गए।

सारा राष्ट्र ही नहीं सारा विश्व महाशोक में डूब गया। आज भी राजघाट नाम से बनी समाधि में सोया यह महापुरुष विश्व के स्वतंत्रता-प्रेमियों की अनन्य श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है।

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