अपने बच्चों के लिए भी समय निकालिए

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जीवन को नई गति, नए आयाम, नई ऊर्जा देने में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

यह सत्य है कि जीवन में बच्चों पर माँ का प्रभाव अधिक होता है, परन्तु पिता के प्यार, स्नेह, समर्पण को भी किसी तरह से नकारा नहीं जा सकता है।

आज के इस भौतिकवादी युग में अधिकांशतः माँ-बाप दोनों कार्य करते हैं। इस कारण घरेलू या बच्चों की जिम्मेदारी सिर्फ महिला का उत्तरदायित्व ही नहीं, बल्कि इसमें पुरुष वर्ग का सहयोग भी अत्यंत आवश्यक है। यदि सभी जिम्मेदारियों का निर्वाह उचित तालमेल के साथ किया जाता है तो जीवन आनंद से साराबोर हो जाता है और विपत्तियों के झोंके भी हिला पाने में समर्थ नहीं होते हैं।

अविभावक के जीवन का उद्देश्य ही संतान को योग्य बनाना व उनके भविष्य को सँवारना होता है। अतः बच्चों के विकास के प्रति ज्यादा जागरूक रहना आवश्यक है और अपने कार्य व बच्चों की परवरिश के बीच उचित सामंजस्य स्थापित करना होता है। परन्तु कई बार तनाव, थकान या अन्य समस्याओं के कारण माता-पिता बच्चों के साथ उचित व्यवहार नहीं कर पाते हैं, उनके विचारों और भावनाओं को सही ढंग से समझ नहीं पाते हैं तथा उनके लिए पर्याप्त समय भी नहीं निकाल पाते हैं। ऐसी स्थिति में वे अपने निर्णय उन पर थोपने की कोशिश करते हैं।

इस तरह के व्यवहार के कारण उनमें डर की भावना पैदा हो जाती है और वे अपनी सही स्थिति से आपको अवगत नहीं करवा पाते हैं।

कभी-कभी तो बच्चों के दिमाग में अभिभावकों की छवि इस तरह से निर्मित हो जाती है कि वे उनकी सही बात को भी गलत मानते हैं और उनके कहे अनुसार व्यवहार नहीं करते हैं।

अतः आवश्यक है कि आप अपने परिवार व बच्चों के साथ पर्याप्त समय बिताएँ। उनके कार्यों में सहयोग करें, उनके कार्यों की प्रशंसा करें तथा उन्हें सही मार्गदर्शन दें। तभी आप उन्हें प्रगति के पथ पर अग्रसर कर पाएँगे और उनके दामन को खुशियों से भर सकेंगे।

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