नन्‍हें को सुलाएँ मीठी नींद

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बच्चों के पहले कुछ सालों के दौरान माता-पिता की सबसे आम शिकायत उनकी नींद को लेकर होती है और अकसर माता-पिता होने का मतलब होता है हर रात सोते-उठते काटना।

रात में शिशु को सही समय पर सुलाने का कारण केवल उसी की नींद पूरी करना नहीं होता, बल्कि आपको भी नींद की जरूरत होती है, ताकि आप अगले दिन भी चुस्त रहकर काम-काज कर सकें।

जैसे हर गर्भावस्था और हर प्रसव भिन्न होता है, वैसे ही हर शिशु की नींद का समय भी भिन्न होता है। कुछ शिशुओं को दिन में 20 घंटे की नींद चाहिए, तो अन्य को केवल 10 घंटे की। कुछ लगातार 3-4 घंटे तक सोते रहते हैं, तो अन्य हर 15-20 मिनट बाद उठ बैठते हैं। सोने के ये विभिन्न तरीके जन्मजात होते हैं और इन्हें आसानी से बदला नहीं जा सकता।

आप यह जरूर कर सकती हैं कि नींद के प्रति अपने शिशु के व्यवहार को प्रभावित करें।

1. यह पक्का कर लें कि शिशु के कमरे में अंधेरा हो, ताकि उसे यह न लगे कि अभी दिन ही चल रहा है।

2. आहार देते समय बत्तियाँ बुझा दें।

3. नैपियों को तेजी से बदलें, शिशु की पीठ थपथपाएँ और फिर उसके साथ बिना खेले या बोले उसे वापस बिस्तर में लिटा दें, ताकि उसे दिन से कुछ अलग व्यवहार लगे।

4. यह देख लें कि शिशु को कोई परेशानी न हो और उस पर अच्छी तरह ओढ़ना पड़ा हुआ हो।

5. अपने शिशु को हर रात उसी कमरे में उसी बिस्तर पर लिटाएँ।

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