नईदुनिया 'हिंदी न्यूजपेपर ऑफ द ईयर-2009'

उर्दू वीकली अखबार की घोषणा

Webdunia
रविवार, 10 जनवरी 2010 (00:02 IST)
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पूरे साल हम अखबार, पत्रिका, टी.वी. चैनलों की खबरें इस स्तंभ में लिखते रहते हैं। इस बार हमें मीडिया जगत में अपने अखबार को मिल रही तारीफ की चर्चा करनी पड़ रही है। हमें यह दावा करते हुए सदैव गौरव महसूस होता रहा है कि देश के विभिन्न क्षेत्रों तथा समाज के वर्गों में 'नईदुनिया' को पिछले 60 वर्षों से सम्मान के साथ देखा जाता रहा है। पिछले डेढ़ वर्ष में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र तथा उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में 'नईदुनिया' की पहचान तथा साख बढ़ी है।

अब कई दशकों से दिल्ली से ही प्रकाशित हो रहे उर्दू अखबार 'नईदुनिया वीकली' ने अपने वार्षिक पाठक (उर्दू-हिन्दी) सर्वेक्षण में हिंदी नईदुनिया को वर्ष-2009 का सर्वश्रेष्ठ हिंदी अखबार घोषित किया है। जाने-माने पत्रकार और राजनेता शाहिद सिद्दीकी के संपादन में निकल रहे इस प्रमुख उर्दू अखबार द्वारा हर साल मीडिया के कामकाज पर पाठकों के बीच सर्वे कराया जाता है। इस बार कराए गए सर्वेक्षण में हिंदी नईदुनिया के साथ ही दिल्ली के अंग्रेजी दैनिक 'मेल टुडे', हिंदी न्यूज चैनल 'आईबीएन 7' तथा अंग्रेजी न्यूज चैनल 'एनडीटीवी-24 ×7' को सर्वश्रेष्ठ माना है।

यहाँ प्रस्तुत है- उर्दू में प्रकाशित घोषणा का पूरा अनुवाद :'विभिन्न विषयों पर बेहतरीन आलेख, विश्लेषण और बिना पक्षपात की रिपोर्टिंग ने 'नईदुनिया हिंदी' को इस वर्ष का हिंदी न्यूजपेपर ऑफ द ईयर-2009 का अवार्ड दिला दिया है। कहा जाता है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, लेकिन वर्तमान समय में ऐसा लग रहा है कि मीडिया केवल नाम और बेतहाशा रुपए कमाने का दूसरा नाम है।

इक्कीसवीं सदी में मीडिया का क्या रोल होना चाहिए लेकिन आज मीडिया क्या भूमिका अदा कर रहा है, हम इसी सिलसिले में बात कर रहे हैं। आज चाहे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी, इंटरनेट आदि) हो या प्रिंट मीडिया (अखबार, पत्रिका आदि) हमारे समाज में इसकी बहुलता है। इसमें कुछ ऐसे हैं जिन्होंने सही मायने में पत्रकारिता के मकसद को और लोकतांत्रिक उसूलों को बढ़ावा देने में भरपूर किरदार अदा किया है। इसीलिए 'हफ्तरोजा नईदुनिया' (साप्ताहिक नईदुनिया) उर्दू ने हर साल की तरह इस वर्ष भी 2009 के सबसे बेहतरीन अखबार का चुनाव किया है और वह है 'हिंदी नईदुनिया'।

' नईदुनिया' बहुत पहले इंदौर से निकलना शुरू हुआ था, लेकिन अब आलोक मेहता के संपादकत्व (संपादन) में दिल्ली से भी निकल रहा है। आलोक मेहता हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार हैं जो सेक्यूलर रवायत के उसी तरह पक्षधर हैं जिस प्रकार मृणाल पांडे सेक्यूलर चलन की हामी थीं, लेकिन अब उन्होंने वहाँ (हिंदुस्तान) से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि उन पर यह दबाव था कि वे अपने उसूलों से समझौता करते हुए सेक्यूलर रवायत को छोड़ दें।'

अब हिंदी 'नईदुनिया' दिल्ली से प्रकाशित हो रहा है। अन्य हिंदी दैनिकों की अपेक्षा इसमें सेहत, मनोरंजन, खेल और फैशन की दुनिया से लेकर देश-विदेश की खबरें विस्तार के साथ आती हैं। इसका संपादकीय विभिन्न समस्याओं और संवेदनशील मुद्दों पर आधारित होता है। इसकी रिपोर्टिंग भी इस साल अच्छी और महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि इस अखबार ने अपने रंगारंग प्रकाशन, ताजातरीन खबरों, विश्लेषणों और सुर्खियों की बदौलत भारत के एक बड़ी रीडरशिप पर अपना दबदबा कायम कर लिया है और दिन-ब-दिन इसके पाठकों में बढ़ोतरी हो रही है। उर्दू वीकली 'नईदुनिया' का इस वर्ष का 'हिंदी न्यूजपेपर ऑफ द ईयर' का पुरस्कार 'नईदुनिया हिंदी'को दिया जाता है।' -संपादक

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