भारत-पाक रिश्ते भी दाँव पर!

Webdunia
रविवार, 4 नवंबर 2007 (22:26 IST)
पाकिस्तान में लागू किए गए मार्शल लॉ का सीधा असर भारत पाक शांति वार्ता पर नहीं पड़ने के बारे में विशेषज्ञों में आम राय होने के बावजूद कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर मार्शल लॉ का दाँव भी खाली गया तो मुशर्रफ भारत-पाक तनाव पैदा करने का पासा फेंक सकते हैं।

पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी ने बताया पाकिस्तान खुद अपनी पश्चिमी सरहद पर बुरी तरह उलझा हुआ है। अफगानिस्तान से सटे पश्चिमी क्षेत्र में एक लाख पाक सैनिक तैनात हैं। पाकिस्तान के बीस से चालीस हजार सैनिक बलूचिस्तान में डटे हैं। ऐसे हालात में भारत की सीमा पर किसी तरह की गुस्ताखी करने के बारे में पाक सोच भी नहीं सकता।

वहीं देश के प्रतिष्ठित रणनीतिक संस्थान इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के फैलो कमांडर आलोक बंसल का मानना है कि अगर मार्शल लॉ लगाने का मुशर्रफ का दाँव भी कारगर नहीं हुआ तो मुशर्रफ भारत-पाक तनाव पैदा कर जनता की भावनाएँ भड़का सकते हैं।

पाक की मौजूदा व्यवस्था को आपातकाल नहीं मानते हुए पार्थसारथी ने कहा पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति को किसी तरह से आपातकाल नहीं कहा जा सकता। किसी भी देश में आपातकाल मौजूदा संविधान के तहत ही लगाया जाता है, लेकिन पाकिस्तान में अंतरिम संविधान लागू किया गया है। इसे मार्शल लॉ ही माना जाएगा।

बंसल ने कहा इसमें कोई दो राय नहीं कि पाकिस्तान अपनी पश्चिमी सरहद पर फँसा है और भारत से किसी तरह का टकराव मोल लेना उसके लिए बहुत कठिन है। लेकिन मार्शल लॉ के बाद भी हालात काबू में नहीं आए तो भारत से संघर्ष के नाम पर मुशर्रफ अवाम का भरोसा जीतने की आखिरी चाल चल सकते हैं।

स्वात घाटी में पाक सैनिकों द्वारा आतंकवादियों के सामने बिना लड़े हथियार डालने की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पाक सेना का एक हिस्सा मुशर्रफ की नीतियों से नाखुश है। सेना और जनता दोनों को एकजुट कर अपनी गद्दी बचाने के लिए मुशर्रफ के पास भारत विरोधी कार्ड खेलना ही आखिरी विकल्प होगा।

अमेरिका और यूरोपी संघ द्वारा पाकिस्तान में मार्शल लॉ लगाने की आलोचना करने के बावजूद भारत की नपी-तुली प्रतिक्रिया के संबंध में पार्थसारथी ने कहा कि भारत ने बिल्कुल सही कदम उठाया है। अमेरिका और यूरोपीय संघ की तुलना में हमारी स्थिति अलग है। अगर भारत सरकार पाकिस्तान की आलोचना करती है तो पाकिस्तान भारत पर उसके आंतरिक संकट से फायदा उठाने की कोशिश का आरोप लगा सकता है।

उन्होंने कहा कि हमें सिर्फ पाकिस्तान की स्थिति पर नजर रखनी चाहिए। हमारे बयान देने से वहाँ की स्थिति में कोई फर्क नहीं आएगा बल्कि पाकिस्तान को अपनी समस्याओं का ठीकरा भारत के सर फोड़ने का बहाना मिल जाएगा।

पाकिस्तान में लोकतंत्र बहाली के सवाल पर उन्होंने कहा कि वहाँ लोकतंत्र की कोई उम्मीद दिखाई नहीं देती। पाकिस्तान में राजनीतिक नेतृत्व का पूर्ण अभाव है। नवाज शरीफ बाहर हैं और बेनजीर भुट्टो ने घुटने टेक दिए हैं। ऐसे में मुशर्रफ से टक्कर कौन लेगा?

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