मनमोहन से मतभेद नहीं-प्रणब

कहा- पीएसी के समक्ष पेश होने की जरूरत नहीं

Webdunia
रविवार, 2 जनवरी 2011 (21:54 IST)
वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने रविवार को इस बात का खंडन किया कि 2जी स्पेक्ट्रम मुद्दे पर लोक लेखा समिति (पीएसी) के समक्ष पेश होने की प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह की पेशकश को लेकर उनका उनके साथ मतभेद है।

मुखर्जी ने कहा कि यह कहना गलत है कि प्रधानमंत्री की पीएसी के समक्ष पेश होने की पेशकश को लेकर मेरे और उनके बीच मतभेद है। मैंने बस इतना कहा है कि हालाँकि प्रधानमंत्री ने पीएसी के समक्ष पेश होने की पेशकश की है, लेकिन मैं ऐसा नहीं करता।

उन्होंने कहा कि मैंने यह भी उदाहरण दिया था कि मंत्री किसी संसदीय समिति के समक्ष पेश नहीं होते। ऐसा इसलिए है कि संसदीय समितियाँ तो महज हिस्से हैं, जबकि संसद पूर्ण है। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि मंत्रियों की संसद के प्रति न कि उसके हिस्से के प्रति व्यक्तिगत जिम्मेदारी है। यदि कोई यह बात नहीं समझ पाता तो मैं क्या कर सकता हूँ।

मुखर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में गतिरोध दूर करने के लिए पीएसी के समक्ष पेश होने की पेशकश की है। यह प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री के बीच मतभेद की बात नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि वह आगामी बजट सत्र में संसद में गतिरोध समाप्त होने की कैसे आशा करते हैं, उन्होंने कहा कि वे इसे दूर करने के लिए दो बैठकें करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के प्रति आभारी हैं।

उन्होंने कहा कि पिछली बैठक में एक सुझाव यह आया था कि बतौर सदन के नेता मुझे प्रयास जारी रखना चाहिए ताकि जो गतिरोध बना है, वह दूर हो। मैं उसका प्रयास करूँगा। मुझे उम्मीद है कि बजट सत्र सुचारु रूप से चलेगा। शीतकालीन सत्र के 2जी घोटाले की भेंट चढ़ने की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जो कुछ हुआ वह महज एक विकृति है। विकृति अस्थायी होती है और सामान्य कामकाज स्थायी होता है।

मुझसे परामर्श नहीं : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुखर्जी ने प्रदेश कांग्रेस समिति की विशेष बैठक में कहा कि पीएसी के सामने पेश होने का प्रस्ताव देने का फैसला प्रधानमंत्री ने हमसे परामर्श किए बगैर किया। अगर वे मुझसे इस बारे में विमर्श करते, तो मैं उन्हें ऐसा प्रस्ताव न देने की सलाह देता।

उन्होंने कहा कि कोई मंत्री किसी संसदीय समिति के सामने पेश क्यों नहीं होता। इसका सामान्य-सा कारण है। एक मंत्री लोकसभा या विधानसभा के प्रति जवाबदेह होता है। लोकसभा के मामले में 543 सदस्यों के प्रति और पश्चिम बंगाल विधानसभा के मामले में 294 सदस्यों के प्रति।

मनमोहन पेश हुए जेपीसी के सामने : वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि कोई व्यक्ति इसलिए मंत्री है क्योंकि वह जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहा है, उसे कम से कम 272 लोकसभा सदस्यों का समर्थन हासिल है और वे सभी प्रधानमंत्री के साथ हैं। मंत्री पूरे सदन के प्रति जिम्मेदार होते हैं, सदन के कुछ लोगों के प्रति नहीं। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले सिर्फ एक बार हुआ है, जब वित्तमंत्री के तौर पर मनमोहनसिंह 1992 में हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने पेश हुए।

इसके पहले 20 दिसंबर को दिल्ली में कांग्रेस के महाधिवेशन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि वे 2जी स्पेक्ट्रम मामले में पीएसी के सामने पेश होने के लिए तैयार हैं क्योंकि उनके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है। प्रधानमंत्री के प्रस्ताव पर पीएसी अध्यक्ष जोशी ने कहा कि इस मामले में फैसला विधि विशेषज्ञों से चर्चा के बाद किया जाएगा। प्रधानमंत्री के इस प्रस्ताव के बाद भी विपक्ष जेपीसी की माँग पर अड़ा है।

जेपीसी जाँच की माँग को ठुकराते हुए मुखर्जी ने पूछा कि जेपीसी की क्या जरूरत है? यह लोकसभा के नियमों में नहीं है। जेपीसी कोई अदालत या जाँच एजेंसी नहीं है। इसके पास दोषियों को सजा देने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को यह कहते रहने दीजिए कि जेपीसी की जरूरत क्यों है, पर हम समझाएँगे कि इसकी जरूरत क्यों नहीं है। प्रधानमंत्री डरते नहीं हैं। वे खुद पूछताछ के लिए विकल्प खुला रख चुके हैं। (भाषा)

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