राज ठाकरे के खिलाफ सुनवाई 22 को

Webdunia
शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2008 (21:42 IST)
उच्चतम न्यायालय ने उत्तर भारतीयों के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणियों के चलते राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) की मान्यता रद्द करने का निर्देश चुनाव आयोग को दिए जाने के लिए दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।

अपने सामने यह याचिका लाए जाने पर मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ ने सवाल किया कि क्या हम राजनीतिक दलों को अपनी गतिविधियाँ चलाने से रोक सकते हैं। इस पीठ में न्यायमूर्ति आर.वी. रवींद्रन भी शामिल हैं।

पीठ ने कहा कि मामला अत्यावश्यक नहीं है और पहले से तय तारीख 22 फरवरी को इस पर सुनवाई करने का फैसला लिया।

अधिवक्ता अरविंद शुक्ला द्वारा दायर इस याचिका में केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश देने की माँग की गई थी कि वे ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई करें। याचिका में आरोप लगाया गया था कि उनकी टिप्पणियों ने देश की एकता को खतरे में डाल दिया।

राज ठाकरे के खिलाफ दायर याचिका में दावा किया गया कि उनकी मंशा लोगों में नफरत फैलाने की है। अगर उन्हें तथा उनके लोगों को गैर कानूनी गतिविधियों से नहीं रोका गया तो देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है।

अधिवक्ता ने अपनी याचिका में कहा कि अगर चुनाव आयोग उनकी पार्टी की मान्यता खत्म कर देता है तो इस तरह की स्थिति पैदा होने से रोकी जा सकती है। एमएनएस का इस्तेमाल महाराष्ट्र, खासकर मुंबई में उत्तर भारतीयों पर हमले के लिए बैनर के तौर पर किया गया।

याचिका के मुताबिक ठाकरे के बयान का असर झारखंड में मराठियों पर कथित जवाबी हमले के रूप में दिखा। उन्होंने कहा कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो दंगे जैसे हालात पैदा हो सकते हैं।

एमएनएस के खिलाफ जनहित याचिका : एमएनएस को प्रतिबंधित किए जाने और पूरी घटना की सीबीआई जाँच कराने के लिए एक जनहित याचिका बंबई उच्च न्यायालय में आज दाखिल की गई। एमएनएस की मान्यता रद्द कराने के लिए उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका पहले से लंबित है। याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई की उम्मीद है।

हमला एक राजनीतिक साजिश : केंद्र ने मुंबई तथा महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में उत्तर भारतीयों को निशाना बनाए जाने की आज भर्त्सना की। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा यह भर्त्सना योग्य है। यह एक राजनीतिक साजिश है। उन्होंने कहा कि भारत को विभाजित नहीं किया जा सकता है तथा देश में रहने के लिए सभी को एकसमान अधिकार है।

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