वफादारी के लिए मिलते हैं पुरस्कार-राजेंद्र यादव

Webdunia
रविवार, 10 जनवरी 2010 (12:00 IST)
वरिष्ठ साहित्यकार और ‘हंस’ के सम्पादक राजेन्द्र यादव ने कहा है कि आज पुरस्कार काम के आधार पर नहीं, बल्कि वफादारी के लिए दिए जाते हैं। आम तौर पर पुरस्कारों के लिए ऐसे लोगों को चुना जाता है, जिनका दौर खत्म हो चुका होता है।

राजेन्द्र यादव ने खास बातचीत में कहा कि सरकार एवं बड़े प्रतिष्ठानों द्वारा दिए जाने वाले अधिकतर पुरस्कार अमूमन खत्म हो चुके लोगों को दिए जाते हैं और इसमें उसके कार्य या रचना का कोई सरोकार नहीं होता है, बल्कि ये उनकी वफादारी के लिए दिए जाते हैं।

उन्होंने कहा कि न केवल बाजार, बल्कि जिंदगी के हर क्षेत्र में कॉर्पोरेट का दखल बढ़ता जा रहा है और साहित्य भी इससे अछूता नहीं है। इसने गाँव के आधारभूत ढाँचे को बदलकर रख दिया है।

उन्होंने दावा करते हुए कहा कि आने वाला कल महिलाओं और दलितों का है। अब तक इन लोगों को हाशिए पर रखा गया, लेकिन भविष्य केवल इन्हीं के पास है, क्योंकि इनका कोई अतीत नहीं है और इतिहास वही बनाते हैं जो अपने फैसले खुद लेने लगते हैं। प्रजातंत्र ने इन लोगों को मौका दिया है। (भाषा)
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