वॉल स्ट्रीट जर्नल' में जगह पाने पर वाड्रा को बधाई : अरुण जेटली

Webdunia
शनिवार, 19 अप्रैल 2014 (21:56 IST)
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नई दिल्ली। राबर्ट वाड्रॉ की खिंचाई करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने अमेरिका के विश्वविख्यात अखबार 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में उनका उल्लेख होने पर उन्हें शनिवार को बधाई दी। इस अखबार में दावा किया गया है कि वाड्रॉ ने 1 लाख रुपए के निवेश से 5 साल के भीतर 325 करोड़ रुपयों से अधिक की संपत्ति खड़ी कर ली है।

जेटली ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि श्रीमान वाड्रॉ को बधाई। 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' में उनका उल्लेख हुआ है। वाड्रॉ के कारोबार मॉडल पर किसी प्रमुख व्यापार विशेषज्ञ द्वारा अनुसंधान पेपर तैयार किए जाने की जरूरत है।

राहुल गांधी के बहनोई को निशाना बनाते हुए उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा, बिना किसी निवेश के कारोबार शुरू करें। राजनीतिक इक्विटी के पर्याय के रूप में निवेश और अग्रिम ऋण आने लगेगा। इन ऋणों का इस्तेमाल बाजार भाव से बहुत ही कम मूल्य पर संपत्तियां खरीदने में लगाएं।

अमृतसर लोकसभा सीट से कांग्रेस के अमरिंदर सिंह से कड़ा मुकाबला कर रहे जेटली ने व्यंग्य जारी रखते हुए कहा कि कई लोग अपर्याप्त कारणों से संपत्ति बेचने को तैयार हैं, शासन के संरक्षण से भूमि और संपत्ति एकत्र कीजिए। कुछ संपत्ति को बेचकर मूल ऋण को चुका दीजिए, शेष बिना किसी देनदारी के आपका हो गया। अभी तक इस व्यापार मॉडल से भौंहें ही तनी हैं। अब समय आ गया है गंभीर सवाल खड़े करने का। 'वॉल स्ट्रीट जर्नल' ने यही काम किया है।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष ने वाड्रॉ को निशाने पर लेने के साथ ही अपने लेख में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बचाव में उतरे पीएमओ की भी खिंचाई की।

उन्होंने कहा कि खामोशी अख्तियार रखने वाले प्रधानमंत्री के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय ने दावा किया है कि पिछले 10 साल में 1200 भाषण देकर वे औसतन हर 3 दिन में एक बार बोले हैं। जेटली ने कहा कि पीएमओ को लगता है उसके इस तर्क से डॉ. मनमोहन सिंह पर लगे इस आरोप पर विराम लग जाएगा कि वे खामोश प्रधानमंत्री हैं।

उन्होंने कहा कि लेकिन देश के प्रमुख राजनीतिक कार्यकारी होने के नाते प्रधानमंत्री भारतीय लोकतंत्र का चेहरा है। उसके विचार देश की नीति को शक्ल देते हैं। वह नेतृत्व प्रदान करता है। जनता उसकी ओर समाधान के लिए देखती है।

भाजपा नेता ने कहा कि एक प्रधानमंत्री कम महत्व वाला नहीं हो सकता है। उसे जनता का विश्वास जगाने वाला होना चाहिए। उसे समाधान पेश करने में विश्वास से भरा दिखना चाहिए। उसे सत्तारूढ़ गठबंधन का शीर्ष जननेता होना चाहिए। उसके पास नैतिक और राजनीतिक दोनों शक्ति होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आंकड़ों के हिसाब से पीएमओ सही है कि प्रधानमंत्री 10 सालों में औसतन हर तीसरे दिन बोले हैं लेकिन वास्तविकता में उन्हें सुना नहीं गया। प्रधानमंत्री बर्फ पर चलते हैं, मगर उस पर उनके पदचिन्हों की छाप नहीं पड़ती। (भाषा)

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