आठवाँ विश्व हिंदी सम्मेलऩ

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- डॉ सुधा ओम ढींगरा
न्यूयॉर्क में आठवाँ विश्व हिंदी सम्मेलन आयोजित किया गया, इस सम्‍मेलन के दौरान कई महत्‍वपूर्ण बातें सामने आईं। इस कार्यक्रम में कनाडा के साहित्यकारों को शामिल नहीं किया गया था। कई कैनेडियन हिंदी प्रेमी अपना खर्चा उठाकर हिंदी सम्मेलन में भाग लेने आए। उत्तरी अमेरिका से प्रकाशित होने वाली त्रैमासिक पत्रिका ‘हिंदी चेतन ा ’ जिसका प्रकाशन संस्थान कनाडा में है, के मुख्य संपादक श्याम त्रिपाठी ने विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए प्रेमचंद विशेषांक निकाला जो अपने आप में अद्वितीय कार्य था। उन्होंने यह पत्रिका पूरे सम्मेलन में बाँटी ताकि लोगों को पता चले कि कनाडा में हिंदी कितनी प्रचलित है और वह पिछले 10 वर्षों से यह साहित्यिक पत्रिका निकाल रहें हैं। उन्होंने दु:खी होते हुए कहा कि विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रवासी हिंदी साहित्य और साहित्यकारों के साथ भारत सरकार ऐसा सौतेला व्यवहार करेगी, कभी ऐसा सोचा नहीं था ।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी की डॉ अंजना संधीर के साथ तो पूरे अमेरिकी साहित्यकारों की सहानुभूति है। अंजना ने तीन महीने दिन रात एक करके अमरीका के कवियों, कहानीकारों, लेखकों और हिंदी प्रेमियों पर एक ग्रंथ विशेष रूप से विश्व हिंदी सम्मेलन के लिए निकाला। इसका उद्देश्य यही था कि अमरीका के साहित्यकारों से भारतवासियों का परिचय करवाया जाए परंतु ऐन मौके पर भारत सरकार की पुस्तकों का लोकार्पण हुआ, इस ग्रंथ का नहीं। अमरीका में आयोजित प्रदर्शनी में हिंदी साहित्यकारों की पुस्तकों, पत्रिकाओं यहाँ के कार्य की प्रदर्शनी को निर्धारित स्थान नहीं दिया गया।

प्रवासी सांहत्य के जानकार और प्रेमचंद पर शोध करने वाले दिल्ली के डॉ कमल किशोर गोयनका ने भी रोष जताया।

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