सानीव की उपलब्धि कोई कम नहीं

Webdunia
अल ऑर्टर (1956 से 1968), विक्टर सानीव (1968 से 1980) और कार्ल लुईस (1984-1996) ओलिम्पिक इतिहास के इन महान एथलीटों में एक बात की साम्यता है और वह साम्यता अतिविशिष्ट है। तीनों ने चार बार ओलिम्पिक में ट्रैक एंड फील्ड में अपनी विशेष स्पर्धा में भाग लिया और पदक भी जीते।

अमेरिका के ऑर्टर ने चक्का फैंक में प्रत्येक बार एक नया ओलिम्पिक कीर्तिमान बनाते हुए स्वर्ण जीता तो यहीं के लुईस ने लंबी कूद में लॉस एंजिल्स से एटलांटा तक स्वर्णिम कूद हासिल की। सोवियत रूस के विक्टर सानीव भी चार मर्तबा तिहरी कूद के लिए ओलिम्पिक में उतरे, वे तीन बार तो सोना ले गए लेकिन अंतिम बार (मॉस्को, 1980) रजत ही सानीव के हाथ लग सका। सानीव की यह उपलब्धि भी कम नहीं आँकी जा सकती।

सानीव दरअसल ऑर्टर के चार स्वर्ण लगातार जीतने के कीर्तिमान की बराबरी करना चाहते थे पर अंतिम बार उन्हें निराशा हाथ लगी। सानीव सफल तो हुए लेकिन उनकी सफलता के साथ खास बात यह जुड़ी हुई थी कि तिहरी कूद में उनकी तकनीक निर्दोष नहीं थीं।

वे जिस तकनीक व शैली को अपनाते थे, वह एक अलग किस्म की थी। अतः उनसे कभी यह उम्मीद नहीं की रखी गई कि वे दिग्गजों के बीच कभी चरम पर पहुँच सकते है, लेकिन सानीव ने बावजूद इसके ना सिर्फ कामयाबी हासिल की बल्कि अनवरत्‌ चार बार अपनी दोषरहित प्रतिभा का कायल भी लोगों को बना गए।

1968 में मैक्सिको सिटी में सानीव ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। तीन लंबे-लंबे डग भरते हुए सानीव ने 17.39 मीटर की दूरी को पार किया। ये था एक नया ओलिम्पिक व विश्व कीर्तिमान तथा सानीव को मिलने वाला पहला ओलिम्पिक स्वर्ण पदक। 13.71 मीटर (जे.कोनोली, अमेरिका 1986, एथेंस) से तिहरी कूद की यह यात्रा 16.85 मीटर (जे.स्मीट, पोलैंड, 1964, टोक्यो) तक पहुँच चुकी थी। सानीव ने अपने पहले स्वर्ण के लिए इस दूरी को .54 मीटर तक बढ़ा दिया। 1972 म्यूनिख में सानीव 17.35 मीटर से दूसरा स्वर्ण ले गए।

1976 मांट्रियल ओलिम्पिक में ब्राजील के विश्व कीर्तिमानधारी तिहरी कूद एथलीट कार्लोस ओलिवरा मैदान में थे लेकिन ओलिवरा ओलिम्पिक में अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सके और सानीव ने 17.29 मीटर की दूरी से अपनी तिहरी कूद की स्वर्णिम हैटट्रिक बना डाली। 35 वर्ष की उम्र में सानीव मॉस्को में भी थे। उन्होंने 17.24 मीटर की दूरी तय की लेकिन रजत के अधिकारी ही बन सके। 17.35 मीटर से सोवियत रूस के ही जे.यूडमा स्वर्ण ले गए। इस तरह लगातार चार ओलिम्पिक में अपने जीवट भरे प्रदर्शन से सानीव लोगों का दिल जीतने में सफल रहे।

Show comments

मैच के बाद ऑफिस का काम, लोगों ने कहा नारायण मूर्ति कहीं सौरभ नेत्रवलकर को भारत न बुला लें

कुर्बानी के जानवर हाजिर हों, पाकिस्तान टीम को उनके ही मुल्क के पूर्व दिग्गजों ने खूब लताड़ा

फारुकी ने लाइव इंटरव्यू में राशिद खान को बोला You Shut Up, कॉलेज के दिनों की दिलाई याद

सबसे ज्यादा चर्चा में रहा अमेरिका का Nassau Stadium ध्वस्त करने की तैयारी शुरू

पाकिस्तानी क्रिकेटर ने Vaishno Devi Attack को लेकर किया पोस्ट, भारतीय है खिलाड़ी की पत्नी, जानें क्या बोले

AIFF ने भारतीय फुटबॉल टीम के मुख्य कोच इगोर स्टिमक को किया बर्खास्त

पाक टीम में गुटबाजी की खबरों को सही ठहराया कोच गैरी कर्स्टन ने

Super 8 की सीट पक्की कर मेजबान वेस्टइंडीज से टक्कर लेगी अफगानिस्तान

T20I World Cup में 200 रन बनाने वाली पहली टीम बनी श्रीलंका, जीत से किया अभियान समाप्त

किसी पिता को Shikhar Dhawan को मिले दर्द से न गुजरना पड़े, फादर्स डे पर बेटे की याद में हुए भावुक