ईश्‍वर का शयनकाल

Webdunia
WD
- डॉ. आर.सी. ओझा
पुराणों के अनुसार चार माहों के लिए विष्णु भगवान क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। तीनों लोकों के स्वामी होने की वजह से भगवान का शयनकाल संपूर्ण संसार का शयनकाल माना जाता है।

देवशयनी या हरिशयनी एकादशी या देशज भाषा में देवसोनी ग्यारस आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को मनाई जाती है। चूँकि एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना का व्रत है, इसलिए देवसोनी व देवउठनी एकादशियों का विशेष महत्व है। आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक का चार माह का समय हरिशयन का काल समझा जाता है।

वर्षा के इन चार माहों का संयुक्त नाम चातुर्मास्य दिया गया है। इसके दौरान जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में 'चातुर्मास्य' कहलाता है। चातुर्मास से चार मास के समय का बोध होता है और चातुर्मास्य से इस समय के दौरान किए गए सभी व्रतों/ पर्वों का समग्र बोध होता है।

पुराणों में इस चौमासे का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। भागवत में इन चार माहों की तपस्या को एक यज्ञ की संज्ञा दी गई है। वराह पुराण में इस व्रत के बारे में कुछ उदारवादी बातें भी बताई गई हैं। उदाहरण के लिए, इस व्रत को आषाढ़ शुक्ल एकादशी के स्थान पर द्वादशी (बारस) या आषाढ़ी पूर्णिमा से भी शुरू किया जा सकता है और चार माह पूर्ण करने के लिए इसका समापन उधर कार्तिक शुक्ल द्वादशी या कार्तिक पूर्णिमा तक किया जा सकता है।

संभवतः यह दृष्टिकोण इसलिए समाहित किया गया होगा क्योंकि यात्रा के दौरान किसी निश्चित स्थान पर पहुँचने में विलंब हो सकता है। उस युग में आज की तरह यात्रा के साधन नहीं थे, इसलिए यह विचार शुमार किया गया होगा। चूँकि चौमासे के व्रत में एक ही स्थान पर रहना आवश्यक है, इसलिए इस परिप्रेक्ष्य में उपरोक्त तथ्य सारगर्भित लगता है।

शास्त्रों व पुराणों में इन चार माहों के लिए कुछ विशिष्ट नियम बताए गए हैं। इसमें चार महीनों तक अपनी रुचि व अभीष्ठानुसार नित्य व्यवहार की वस्तुएँ त्यागना पड़ती हैं। कई लोग खाने में अपने सबसे प्रिय व्यंजन का इन माहों में त्याग कर देते हैं। चूँकि यह विष्णु व्रत है, इसलिए चार माहों तक सोते-जागते, उठते-बैठते 'ॐ नमो नारायणाय' के जप की अनुशंसा की गई है।

इन चार माहों के दौरान शादी-विवाह, उपनयन संस्कार व अन्य मंगल कार्य वर्जित बताए गए हैं। पुराणों के अनुसार चार माहों के लिए विष्णु भगवान क्षीरसागर में शयन के लिए चले जाते हैं। तीनों लोकों के स्वामी होने की वजह से भगवान का शयनकाल संपूर्ण संसार का शयनकाल माना जाता है। चार मास की अवधि के पश्चात देवोत्थान एकादशी को भगवान जागते हैं।

Show comments

Buddha purnima 2024: भगवान बुद्ध के 5 चमत्कार जानकर आप चौंक जाएंगे

Buddha purnima 2024: बुद्ध पूर्णिमा शुभकामना संदेश

Navpancham Yog: सूर्य और केतु ने बनाया बेहतरीन राजयोग, इन राशियों की किस्मत के सितारे बुलंदी पर रहेंगे

Chankya niti : करोड़पति बना देगा इन 4 चीजों का त्याग, जीवन भर सफलता चूमेगी कदम

Lakshmi prapti ke upay: माता लक्ष्मी को करना है प्रसन्न तो घर को इस तरह सजाकर रखें

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने श्रीलंका स्थित ऐतिहासिक सीता अम्मन मंदिर का उद्घाटन किया

प्रसिद्ध बौद्ध धर्म तीर्थ सारनाथ का फेमस मंदिर

Mata lakshmi : माता लक्ष्मी ने क्यों लिया था एक बेर के पेड़ का स्वरूप, जानकर चौंक जाएंगे

Buddh purnima 2024 : गौतम बुद्ध के जन्म की 5 रोचक बातें

Hanuman chalisa: यदि इस तरह से पढ़ते हैं हनुमान चालीसा तो इसका नहीं मिलेगा लाभ