उस दिन क्या पहनना है, मेकअप कैसा होगा, चूड़ियां किस रंग की होंगी, पैरों में चप्पल किस स्टाइल की होंगी और गहने कैसे होंगे... इस तरह की तैयारियां सिर्फ विवाहित महिलाएं ही नहीं, बल्कि कुंआरी लड़कियां भी शुरू कर देती हैं। इन दिनों बाजार की रंगत भी देखते ही बनती है।
महिलाओं की हर फरमाइश और ख्वाबों को पूरा करने को तैयार बाजार में मानो प्रतिस्पर्धा शुरू हो जाती है। हाई सोसाइटी की महिलाएं हो या मध्यवर्ग की या फिर छोटे तबके की... सभी के लिए यह दिन बड़ा खास होता है। लेकिन सभी तबके की महिलाओं में इस त्योहार को मनाने का ढंग अलग होता है।
जहां जाओ वहां महिलाओं के हाथ खूबसूरत चूड़ियों और मेहंदी से सजे होते दिखते हैं। देश के हर कोने में मनाए जाने वाले इस त्योहार में महिलाओं को मायके जाने का मौका तो मिलता ही है साथ ही सजने संवरने का भी भरपूर मौका मिलता है।
जसविंदर के अनुसार पहले हरियाली तीज के मायने ही कुछ और थे। मेरे पीहर से मेरे भाई मुझे लेने आ जाते थे।
इतना ही नहीं, हरियाली तीज का इंतजार और उसकी तैयारियां मैं 15 दिन पहले से शुरू कर देती थी क्योंकि इस दिन के बहाने मुझे मायके जाने का मौका मिल जाता था और मायके में मेरी और भी शादीशुदा सहेलियां इसी दिन आती थीं फिर मिल-जुल कर हम झूला झूलते। न कोई रोक-टोक, बस एक हफ्ते मस्ती-ही मस्ती। लेकिन अब तो मानो सभी चीजें बदल-सी गई हैं।
लोग मुझसे पूछते हैं तो मैं कहती हूं कि इस तीज के त्योहार को सभी महिलाओं को मनाना चाहिए। मैं अपनी बहुओं को हरियाली तीज पर पैसे दे देती हूं, ताकि वह अपनी मनपंसद चूड़ियां खरीदे लें और मेहंदी लगवा लें। हालांकि मैं चाहती हूं कि वह भी इस तीज पर मायके जाएं लेकिन बच्चों की पढ़ाई की वजह से वह मायके नहीं जा पातीं, बल्कि ससुराल में ही हरियाली तीज मना लेती हैं ।
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