साहित्यकार राजेंद्र यादव का निधन

Webdunia
मंगलवार, 29 अक्टूबर 2013 (09:01 IST)
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नई दिल्ली। हिन्दी के प्रख्यात लेखक एवं हंस पत्रिका के संपादक राजेन्द्र यादव का सोमवार देर रात निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।

यादव की कल रात अचानक तबियत खराब हो गई और उन्हें सांस लेने की तकलीफ होने लगी। उन्हे 11 बजे के बाद फौरन एक निजी अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

उनके परिवार में उनकी लेखिका पत्नी मन्नू भंडारी के अलावा एक बेटी है। यादव के निधन से हिन्दी में नए कहानी आंदोलन का आखिरी स्तंभ ढह गया और साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई। उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर तीन बजे किया जाएगा।

28 अगस्त 1929 को आगरा में जन्मे यादव की गिनती चोटी के लेखको मे होती रही है। वह मुंशी प्रेमचंद की पत्रिका हंस का 1986 से संपादन करते रहे थे जो हिन्दी की र्सवाधिक चर्चित साहित्यिक पत्रिका मानी जाती है और इसके माध्यम से हिन्दी के नए लेखकों की एक नई पीढी भी सामने आई और इस पत्रिका ने दलित विर्मश और स्त्री विर्मश को भी स्थापित किया।

यादव के प्रसिद्ध उपन्यास सारा आकाश पर बासु चटर्जी ने एक फिल्म भी बनाई थी। उनकी चर्चित कृतियो में जहां लक्ष्मी कैद है, छोटे छोटे ताजमहल, किनारे से किनारे तक, टूटना, ढोल जैसे कहानी संग्रह और उखड़े हुए लोग, शह और मात, अनदेखे अनजान पुल तथा कुलटा जैसे उपन्यास भी शामिल है। उन्होंने अपनी पत्नी मन्नू भंडारी के साथ एक इंच मुस्कान नामक उपन्यास भी लिखा है।

यादव ने आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए. किया था और वह कोलकता मे भी काफी दिनो तक रहे। वह संयुक्त मोर्चा सरकार में प्रसार भारती के सदस्य भी बनाए गए थे। वह 19।3 से दिल्ली में रह रहे थे और राजधानी की बौद्धिक जगत की एक प्रमुख हस्ती माने जाते थे। (वार्ता)

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