मथुरा की होली का आनंद अकल्पनीय

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देश के कोने-कोने से मथुरा आए हजारों कला प्रेमियों ने सोमवार, 5 मार्च को श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में रावल के हुरियारों की लठमार होली का आनन्द लिया। ऐसा आनन्द अन्यत्र दुर्लभ है।

नए लहंगा और फरिया पहने रावल गांव की गोपियों ने रसिया गायन, आज बिरज में होरी रे रसिया और ऐसो चटक रंग डारयों श्याम मेरी चूनर में लग गयो दाग री, के मध्य जब लठमार होली शुरू की तो रसिया गायन से लोग नृत्य कर रहे थे। महिलाएं लाठियों से पुरुषों की पिटाई कर रही थीं और पुरुष लोहे की ढाल पर अपना बचाव कर रहे थे।

कभी-कभी कोई दृश्य उस समय मनोहारी बन जाता जब हाथ में लाठी या कार्बाइन होने के बावजूद कोई पुलिसकर्मी भाग रहा था और गोपिकाएं लाठी लेकर उसके पीछे भी दौड रही थीं। ऐसे अवसर पर लगभग डेढ सौ फीट की ऊंचाई से ब्लोवर से रंगबिरंगे गुलाल की वर्षा ने जहां वातावरण इन्द्रधनुषी बना दिया वहीं गुलाल की वर्षा से होली प्रेमी रंग गए थे।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा के अनुसार संस्थान ने इस बार अब तक के सबसे ऊंचे स्थान से गुलाल की वर्षा की व्यवस्था की थी। लगभग एक घंटे चली लठमार होली नन्द के लाला की जय से समाप्त हुई। पूर्व में श्रीकृष्ण जन्मस्थान के लीला मंच पर ब्रज की होलियों का ऐसा जीवंत प्रस्तुतीकरण हुआ कि होली प्रेमी झूम उठे।

घटा नृत्य हो हुक्का नृत्य या चरखा नृत्य अथवा मयूर नृत्य सभी कार्यक्रम ब्रज की विभिन्न होलियों की झांकी प्रस्तुत कर रहे थे। होरी खेलो तो आजइयों बरसाने रसिया गायन के मध्य जब दो गोपियों ने चरकुला नृत्य प्रस्तुत किया तो वातावरण तालियों की गड़गडा़हट से गूंज उठा। सूर्यास्त होते-होते लठमार होली जब समाप्त हुई तो बहुत से होली प्रेमी अतृप्त रह गए थे। (वार्ता)

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