20वाँ जैन साहित्य गौरव ग्रंथ समारोह

जिसका अनुसरण हो वही धर्म- अभय छजलानी

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धर्म वह नहीं, जो प्रदर्शन किया जाता है। धर्म वह होता है, जिसका अनुसरण किया जाता है। मंदिर में आने, प्रतिक्रमण करने, तप और आराधना कर लेने से जैनी नहीं बना जाता। जैनी होने के लिए धर्म की गहराई तक पहुँचना जरूरी है। जैनी अपने धर्म को पहचाने तो जैन साहित्य गौरव ग्रंथ समारोह की यह सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। ये विचार अभय छजलानी ने व्यक्त किए। वे रतलाम में आयोजित सजनप्रभा सभागार में रूपमाणक भंसाली चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में महावीर जैन विद्यालय मुंबई द्वारा आयोजित 20वें जैन साहित्य गौरव ग्रंथ समारोह को संबोधित कर रहे थे।

समारोह के 5वें सत्र की अध्यक्षता डॉ. प्रकाश बंगानी ने की। डॉ. बंगानी ने कहा कि जैन धर्म पूरी तरह वैज्ञानिक है, लेकिन इसे आम जन तक पहुँचाने और समझाने का कार्य पूर्णतः नहीं हो रहा है। उन्होंने टेलीविजन के माध्यम से ऐसे कार्यक्रम प्रस्तुत करने पर जोर दिया, जो जनरुचि के होकर धर्म का प्रचार-प्रसार करें।
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