चैत्र प्रतिपदा : हिन्दू नववर्ष का प्रारंभ हिन्दी पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होता है। इसी दिन से वासंतेय नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है। हिन्दू नववर्ष का पंचांग विक्रम संवत् से माना जाता है। एक साल में बारह महीने और सात दिन का सप्ताह विक्रम संवत से ही प्रारंभ हुआ है।
हिजरी सन् : मुस्लिम समुदाय में नया वर्ष मोहर्रम की पहली तारीख से मनाया जाता है। मुस्लिम पंचांग की गणना चांद के अनुसार होती है।
ओणम : मलयाली समाज में नया वर्ष ओणम से मनाया जाता है। इस दिन प्रतिवर्ष विभिन्न सांस्कृतिक आयोजन किए जाते हैं। ओणम मलयाली माह छिंगम यानी अगस्त और सितंबर के मध्य मनाया जाता है।
गुड़ीपड़वा पर नववर्ष : महाराष्ट्रीयन परिवारों में चैत्र माह की प्रतिपदा को ही नववर्ष की शुरुआत होना माना जाता है। इस दिन बांस में नई साड़ी पहना कर उस पर तांबे या पीतल के लोटे को रखकर गुड़ी बनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है। गुड़ी को घरों के बाहर लगाया जाता है और सुख संपन्नता की कामना की जाती है।
नववर्ष बैसाखी : खुशदिल लोगों और गीत-संगीत की अनोखी परंपरा से सजी है पंजाबियों की संस्कृति। पंजाबी समुदाय अपना नववर्ष बैसाखी में मनाते हैं। यह त्योहार नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। बैसाखी के अवसर पर नए कपड़े पहने जाने के साथ ही भांगड़ा और गिद्दा करके खुशियां मनाई जाती हैं। बैसाखी प्रतिवर्ष 13-14 अप्रैल को मनाई जाती है।
नवरोज का प्रारंभ : पारसियों द्वारा मनाए जाने वाले नववर्ष नवरोज का प्रारंभ तीन हजार साल पहले हुआ। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन फारस के राजा जमजेद ने सिंहासन ग्रहण किया था। उसी दिन से इसे नवरोज कहा जाने लगा। राजा जमशेद ने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। नवरोज को जमशेदी नवरोज भी कहा जाता है।
दीपावली है नया साल : जैन समुदाय का नया साल दीपावली के दिन से माना जाता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहा जाता है।
नया साल मुबारक हो : सभी समुदायों के साथ ही एक ऐसा नया साल है जिसे सभी वर्गों, समुदायों द्वारा मान लिया गया है। वह है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मनाया जाने वाला नया साल। जिसकी शुरुआत जनवरी माह में होती है। सारे सरकारी कार्य और लेखा-जोखा इसी के अनुसार संचालित किए जाते हैं।
जनवरी में नए वर्ष 2014 का प्रारंभ हो गया है। आजकल इसी पंचांग को सर्वमान्य रूप से नए वर्ष की शुरुआत मान लिया गया है।