दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर

यहाँ श्री महावीर जी की प्राचीन मूर्ति स्थापित है...

Webdunia
- श्रुति अग्रवाल
दिगम्बर जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र श्री महावीर स्वामी का मंदिर राजस्थान के श्री महावीरजी नामक स्थान पर स्थित है। यह मंदिर संपूर्ण भारत में जैन धर्म के पवित्र स्थानों में से एक है। गंभीर नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में 24वें तीर्थंकर श्री वर्धमान महावीरजी की मूर्ति विराजित है। इस मंदिर के निर्माण के पीछे सुंदर कथा है।

फोटो गैलरी देखने के लिए यहाँ क्लिक करें

' कुछ चार सौ साल पहले की बात है। एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी।
Shruti AgrawalWD
कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में दूध नहीं होता था। इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की... खुदाई में श्री महावीर भगवान की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई, जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ ।'

भगवान के इस अतिशय उद्भव से प्रभावित होकर बसवा निवासी श्री अमरचंद बिलाला ने यहाँ एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक जैन वास्तुकला का अनुपम समागम ह ै, जो प्राचीन जैन कला शैली के बने मंदिरों से अलग है। यह मंदिर मूल रूप से सफेद और लाल पत्थरों से बना ह ै, जिसके चारों ओर छत्रियाँ बनी हुई हैं।

Shruti AgrawalWD
इस विशाल मंदिर के गगनचुम्बी धवल शिखर को स्वर्ण कलशों से सजाया गया है। इन स्वर्ण कलशों पर फहराती जैन धर्म की ध्वजाएँ सम्यक दर्शन, ज्ञान एवं चरित्र का संदेश दे रही हैं। मंदिर में जैन तीर्थंकरों की कई भव्य मूर्तियाँ प्रतिष्ठित हैं। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर स्वर्ण पच्चीकारी का काम किया गया है, जो मंदिर के स्वरूप को बेहद कलात्मक रूप देता है। मंदिर के सामने सफेद संगमरमर से भव्य ऊँचा मानस स्तंभ बनाया गया है, जिसमें श्री महावीरजी की मूर्ति स्थापित की गई है।

मंदिर में प्रातः बेला में महावीरजी की प्रतिमा को स्नान कराया जाता है। फिर पूजा के समय चाव ल, चंद न, कपू र, केस र, मिश्री, गिरी और पूरे बादाम से पूजा की जाती है। वहीं संध्या बेला में घी के दीये जलाकर आरती संपन्न की जाती है।
Shruti AgrawalWD
भगवान महावीर की प्रतिमा के पावन उद्भव स्थल पर चरण चिन्ह प्रतिष्ठित हैं। यहाँ एक खूबसूरत छत्री निर्मित है। यहाँ एक खूबसूरत बगीचा बनाया गया है। चरण छत्री के सम्मुख ही प्रांगण में 29 फुट ऊँचा महावीर स्तूप बनाया गया है। जिसका निर्माण महावीरजी के 2500वें निर्वाणोत्सव वर्ष में करवाया गया था। यहाँ की मुख्य बात यह है कि इस छत्री पर चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा उसी चर्मकार के वंशजों को दिया जाता है, जिसने प्रतिमा को भूमि से खोदकर निकाला था ।’

Shruti AgrawalWD
मंदिर की असली शोभा महावीर जयन्ती के अवसर पर मनाए जाने वाले उत्सव में होती है। इस अवसर पर यहाँ चैत्र शुक्ल त्रयोदशी से बैशाख कृष्ण द्वितीया तक पाँच दिवसीय लक्खी मेला भरता है। मेले में ध्वजारोहण, जयन्ती जुलूस, जलयात्रा, जिनेन्द्र रथयात्रा और कलशाभिषेक के कार्यक्रम होते हैं। इस पर्व का मुख्य आकर्षण रथयात्रा होता है। जब गंभीर नदी के किनारे गाजे-बाजे के साथ कैलाश अभिषेक को वैभवशाली ढंग से प्रस्तुत किया जाता है।

यह स्वर्ण रथ बैलों द्वारा खींचा जाता है। महावीरजी की प्रतिमा पर चार व्यक्ति मिलकर चँवर झलते हैं। समस्त वातावरण भजनों और महावीर स्वामी के जय-घोष से गुंजायमान होता है। रथयात्रा के दौरान मीणा जाति के लोग मँजीरों की झंकार के साथ-साथ नाचते-झूमते नदी तट तक जाते हैं। इस तरह यह मेला सामुदायिक सद्‍भाव का भी प्रतीक है।

Shruti AgrawalWD
इस जुलूस के पश्चात प्रतिमा को धूमधाम के साथ मंदिर में पुनर्स्थापित किया जाता है। श्रद्धालु भारी तादाद में मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के लिए एकत्रित होते हैं और आराधना की जाती है। संध्या को पूरे मंदिर को दीपों से सजाया जाता है।

मंदिर में वर्ष भर दिगंबर संतों का आवागमन लगा रहता है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु इन संतों के उपदेशों का लाभ लेते रहते हैं। संतों के लगातार प्रवास के कारण यह मंदिर जैन अनुयायियों के खास आकर्षण का केंद्र बन गया है।

इस मंदिर के आसपास तमाम दुकानें है ं, जहाँ अना ज, कपड़े और धर्म संबंधी सामग्रियाँ उपलब्ध हैं। पर्व के दौरान यात्रियों की सहूलियत को देखते हुए कई अस्थायी दुकानें भी लगाई जाती हैं। इस पर्व में राजस्थानी हस्तकला भी देखने को मिलती है।

Shruti AgrawalWD
कब जाए ँ- इस मंदिर में यूँ तो दर्शन के लिए साल भर द्वार खुले रहते है ं, मगर इस मंदिर की असली शोभा मार्च-अप्रैल के महीने में आयोजित होने वाले पर्व में नजर आती है।

कैसे जाएँ- चाँदनगाँव दिल्ली-मुंबई ब्रॉंडगेज लाइन पर श्री महावीरजी रेलवे स्टेशन से करीब 6.5 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यह हिंडौन से 18 किलोमीटर, जिला मुख्‍यालय करौली से 29 किलोमीटर और जयपुर से 176 किलोमीटर दूर है। मंदिर तक जाने के लिए बस और अन्य वाहन उपलब्ध हैं। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से एक निःशुल्क बस दिन-रात मंदिर और रेलवे स्टेशन का चक्कर लगाती रहती है ताकि यात्रियों को किसी तरह की कोई असुविधा न हो।

Shruti AgrawalWD
कहाँ ठहरें:- मंदिर का प्रबंधन दिगम्बर जैन पंचों की एक कमेटी करती है। दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी राजस्थान सार्वजनिक प्रन्यास अधिनियम के अन्तर्गत रजिस्टर्ड प्रन्यास है। इस कमेटी ने मंदिर के आसपास तीन धर्मशालाओं का निर्माण करवाया है, जिसमें एसी कमरों से लेकर डॉरमेट्री तक सभी कुछ बहुत कम कीमत पर उपलब्ध है। साथ ही मंदिर प्रबंधन की तरफ से बेहद कम कीमत पर सात्विक नाश्ता और भोजन भी उपलब्ध करवाया जाता है।
Show comments

Vrishabha Sankranti 2024: सूर्य के वृषभ राशि में प्रवेश से क्या होगा 12 राशियों पर इसका प्रभाव

Khatu Syam Baba : श्याम बाबा को क्यों कहते हैं- 'हारे का सहारा खाटू श्याम हमारा'

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

Shukra Gochar : शुक्र करेंगे अपनी ही राशि में प्रवेश, 5 राशियों के लोग होने वाले हैं मालामाल

Guru Gochar 2025 : 3 गुना अतिचारी हुए बृहस्पति, 3 राशियों पर छा जाएंगे संकट के बादल

19 मई 2024 : आपका जन्मदिन

19 मई 2024, रविवार के शुभ मुहूर्त

Chinnamasta jayanti 2024: क्यों मनाई जाती है छिन्नमस्ता जयंती, कब है और जानिए महत्व

Narasimha jayanti 2024: भगवान नरसिंह जयन्ती पर जानें पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Vaishakha Purnima 2024: वैशाख पूर्णिमा के दिन करें ये 5 अचूक उपाय, धन की होगी वर्षा