आधी रात के बाद श्मशान साधना

तंत्र-मंत्र और श्मशान की दास्तां

Webdunia
getActiveSwf(); - श्रुति अग्रवाल
आधी रात के बाद का समय। घोर अंधकार का समय। जिस समय हम सभी गहरी नींद के आगोश में खोए रहते हैं, उस समय घोरी-अघोरी-तांत्रिक श्‍मशान में जाकर तंत्र-क्रियाएं करते हैं। घोर साधनाएं करते हैं। आखिर क्या होता है आधी रात के बाद श्‍मशान में। हमारे मन में कई बार यह सवाल आए। आपके दिमाग में भी ऐसे ही कई सवालात होंगे। तो चलिए इस बार ढूंढ़ें इसी अनसुलझे सवाल का जवाब।

वीडियो देखने के लिए फोटो पर क्लिक करें और फोटो गैलरी देखने के लिए यहां क्लिक करें-

 
WD
इन्होंने बताया अघोरी श्‍मशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं- श्‍मशान साधना, शिव साधना, शव साधना। शव साधना के चरम पर मुर्दा बोल उठता है और आपकी इच्छाएं पूरी करता है। इस साधना में आम लोगों का प्रवेश वर्जित रहता है। ऐसी साधनाएं अक्सर तारापीठ के श्‍मशान, कामाख्या पीठ के श्‍मशान, त्र्यम्‍बकेश्वर और उज्जैन के चक्रतीर्थ के श्‍मशान में होती है।

शिव साधना में शव के ऊपर पैर रखकर खड़े रहकर साधना की जाती है। बाकी तरीके शव साधना की ही तरह होते हैं। इस साधना का मूल शिव की छाती पर पार्वती द्वारा रखा हुआ पांव है। ऐसी साधनाओं में मुर्दे को प्रसाद के रूप में मांस और मदिरा चढ़ाया जाता है।

शव और शिव साधना के अतिरिक्त तीसरी साधना होती है श्‍मशान साधना, जिसमें आम परिवारजनों को भी शामिल किया जा सकता है। इस साधना में मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा की जाती है। उस पर गंगा जल चढ़ाया जाता है। यहां प्रसाद के रूप में भी मांस-मंदिरा की जगह मावा चढ़ाया जाता है।

जानकारी मिलने के बाद हमने एक और अघोरी से संपर्क किया। चंद्रपाल नामक यह अघोरी हमें शव साधना दिखाने के लिए तैयार हो गया, लेकिन कहा कि जब मेरा शिष्य आपसे कहे, तब आप वहां से चले जाना।

इसके बाद हम उस अघोरी के साथ उज्जैन के शिप्रा किनारे के श्‍मशान घाट गए। वहां अघोरी के शिष्य ने एक चिता का प्रबंध कर रखा था।

WDWD
सबसे पहले अघोरी चंद्रपाल ने श्‍मशान का मुआयना किया। फिर कुछ बुदबुदाने लगा। इस बीच उसके चेहरे पर अजीब-सी मुस्कान फैल गई। इसके बाद उसने शिप्रा नदी में कुछ जलते दीये विसर्जित किए। हमें बताया गय ा, ये दीये आत्मा को श्‍मशान तक आने का रास्ता दिखाते हैं ।

माहौल में एक अजीब-सी गंध थी। राख और चमड़ी जलने की गंध। उसमें घुली अगरबत्तियों और धूपबत्ती की खुशबू। इस माहौल के बीच अघोरी का रूप बड़ा भयावह लग रहा था। दीपदान के बाद कुछ देर यूँ ही बुदबुदाने के बाद अघोरी ने चिता के चारों ओर लकीर खींच दी और हमें लकीर के अंदर आने से साफ मना कर दिया। फिर उसने तुतई बजाना शुरू किया। अघोरी के शिष्य ने बताया कि ऐसा करके अघोरी अन्य प्रेत-पिशाचों को अपनी साधना में विघ्न डालने से रोकता है।

अघोरी ने चिता पर से पाँव हटाया और मुर्गे की बलि चढ़ाकर मांस-मदिरा का प्रसाद चढ़ाया। प्रसाद वितरित करने के बाद अघोरी ने हमें वहाँ से चले जाने का इशारा किया। शिष्य ने बताया कि अब चांडाल साधना का वक्त आ गया है। अघोरी निर्वस्त्र होकर शव साधना करेंगे।
इसके बाद अघोरी ने तेजी से चिता के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू कर दिया। चक्कर लगाते समय अघोरी चुपचाप कुछ बुदबुदाता रहा था। साथ ही चिता पर जल छिड़कता जा रहा था। इसके बाद अचानक अघोरी कुछ उचका और जलती चिता के ऊपर उसने एक पाँव रख दिया। इसके बाद साधना जारी रही। हम काफी देर अघोरी को इसी अवस्था में देखते रहे।

अघोरी ने अपना तप जारी रखा। मिनटों के बाद लगभग एक घंटा व्यतीत हो गया। इसके बाद अघोरी ने चिता पर से पाँव हटाया और काले मुर्गे की बलि चढ़ाकर मांस-मदिरा का प्रसाद चढ़ाया। अपने साथियों को प्रसाद वितरित करने के बाद अघोरी ने हमें वहाँ से चले जाने का इशारा किया। अघोरी के शिष्य ने बताया कि अब चांडाल साधना का वक्त आ गया है। अब अघोरी निर्वस्त्र होकर शव साधना करेंगे। इस साधना को देखना बेहद दुरूह ह ै, इसलिए हमें जाना ही होगा।

WDWD
हम बोझिल मन से वहाँ से हट गए। श्‍मशान से निकलने के बाद भी विचित्र गंध हमारा पीछा नहीं छोड़ रही थी। शव साधना के बाद क्या मुर्दा जीवित होता ह ै, हमारा यह सवाल अधूरा ही रह गय ा, लेकिन इस सफर में हमने जाना कि कुछ लोग इस दुनिया से परे अलग ही दुनिया में मस्त रहते हैं।

इनका कहना है कि वे लोग जो दुनियादारी और गलत कामों के लिए तंत्र साधना करते हैं अंत में उनका अहित ही होता है। शमशान में तो शिव का वास है उनकी उपासना हमें मोक्ष की ओर ले जाती है। इन लोगों ने हमें समझाया अघोरी का मतलब है- घोर साधना करने वाला। जिस निर्जन श्‍मशान में हम दिन में जाने से भी डरते है ं, वे यहाँ रात को चैन की बंसी बजाते हैं।

हम अपने इस सफर में जितने भी अघोरियों से मिल े, उनमें एक बात समान रूप से देखने को मिली कि जलती गर्म चिता में तप करने के कारण इन सभी के पाँव नीले पड़ चुके थ े, लेकिन इन्हें इस बात से कुछ फर्क नहीं पड़ता। ये तो बस अपनी साधना में रत रहना चाहते हैं। अब आप इसे जो भी समझे ं, लेकिन हमारे ही समाज में यह एक ऐसा तबका ह ै, जो घोर-अँधेरी रात में ही अपना काम करता है।
इस विषय से जुड़े सर्वेक्षण में भाग लेने के लिए क्लिक ‍करें
Show comments

Chanakya niti : यदि सफलता चाहिए तो दूसरों से छुपाकर रखें ये 6 बातें

Guru Gochar : बृहस्पति के वृषभ में होने से 3 राशियों को मिलेंगे अशुभ फल, रहें सतर्क

Adi shankaracharya jayanti : क्या आदि शंकराचार्य के कारण भारत में बौद्ध धर्म नहीं पनप पाया?

Lakshmi prapti ke upay: लक्ष्मी प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए, जानिए 5 अचूक उपाय, 5 सावधानियां

Swastik chinh: घर में हल्दी का स्वास्तिक बनाने से मिलते है 11 चमत्कारिक फायदे

Chardham Yatra: कुप्रबंधन को लेकर उत्तरकाशी में व्यवसायी नाराज, किया विरोध प्रदर्शन

Aaj Ka Rashifal: शुभ समाचारों वाला रहेगा आज का दिन, पढ़ें 16 मई का राशिफल

Maa lakshmi : मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तुलसी पर चढ़ाएं ये 5 चीज़

16 मई 2024 : आपका जन्मदिन

16 मई 2024, गुरुवार के शुभ मुहूर्त