गुप्तिधाम तीर्थक्षेत्र

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पिछले बारह वर्षों से हरियाणा के जिला सोनीपत, गन्नौर में स्थित गुप्तिधाम तीर्थक्षेत्र अब देशवासियों के लिए बनकर तैयार हो गया है। इस मंदिर की सुंदरता, भव्यता और प्राचीन कला शिल्प की इस युग में प्रतिस्थापना मुख्य रूप से आकर्षण का केंद्र है। गुप्तिधाम गुरुदेव उपाध्याय गुप्तिसागर जी मुनिराज की दीर्घकालिक साधना का सुफल परिणाम है।

पंच बालयति तीर्थंकर भगवान का मंदिर शिल्प नागर शैली में उत्कीर्ण किया गया है। इसकी मूर्तियां मनोहारी हैं। वीतराग छवि निहारते ही बनती है।

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मूलनायक मंदिर के मुख्य द्वार के दोनों ओर दो मंदिर हैं, बाईं ओर अतिशययुक्त त्रिमूर्ति मंदिर है तथा दाहिनी ओर नवग्रह मंदिर है। ऊपर जाकर मूलनायक मंदिर के चारों कोनों पर चार मंदिर हैं जिनमें क्रमशः भगवान आदिनाथ मंदिर, चंदाप्रभु मंदिर, शांतिनाथ मंदिर तथा नेमिनाथ भगवान का मंदिर है और ऊपर जाकर घंटाकर्ण मंदिर तथा यंत्र मंदिर है।

इससे ऊपर भविष्यत्‌ कालीन तीर्थंकरों के चौबीस मंदिर हैं। साथ ही श्रमण संस्कृति के आचार्य श्री कुंदकुंद का मंदिर है तथा श्रावक संस्कृति के उद्घोषक आचार्य श्री समंतभद्र का मंदिर है। मूलनायक पंच बालयति मंदिर के शिखर में वर्तमान तीर्थंकरों के 24 जिनबिंब स्थापित किए जा रहे हैं तथा शिखर के पार्श्व भाग में भूतकालिक 24 तीर्थंकरों के 24 जिनबिंब स्थापित हो रहे हैं।

गुप्तिधाम एक संत द्वारा राष्ट्र के उन्नयन हेतु निर्मित धरोहर है जो सदियों में हमें प्राप्त होता है। पुरातत्विक दृष्टिकोण से यह सृजन माउंटआबू, खजुराहो व दिलवाड़ा के मंदिरों की तरह भारतीय संस्कृति के लिए वरदान सिद्ध होगा।

परम पूज्य श्री गुप्तिसागर जी द्वारा देश को दिया गया यह उपहार पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।

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