जब-जब मानसून बरसा

Webdunia
मंगलवार, 31 अगस्त 2010 (12:43 IST)
फाल्गुनी

जब-जब मानसून बरसा
उसके साथ बरसे तुम
तुम्हारी यादें
तुम्हारी बातें
और मेरी आँखें।

जब-जब मानसून बरसा
उसके साथ बरसा मेरा वजूद
भीगा मेरा मन
और बढ़ उठी तपन।

जब-जब मानसून बरसा
उसके साथ बरसी
तुम्हारी तीखी बातों की किरचें
मन में जहाँ-तहाँ उग आई
बिन मौसम की मिरचें।

मानसून नहीं बरसा है यह
इसके साथ, बस बरसे हो तुम
कैसे बरसता मानसून
जब मेरी मन-धरा से तुम हो गए हो गुम।
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.