जितना नूतन प्यार तुम्हारा

Webdunia
स्नेहलता स्नेह

जितना नूतन प्यार तुम्हारा, उतनी मेरी व्यथा पुरानी
एक साथ कैसे निभ पाए, सूना द्वार और अगवानी

तुमने जितनी संज्ञाओं से, मेरा नामकरण कर डाला
मैंने उनको गूँथ-गूँथकर साँसों की अर्पण की माला

जितना तीखा व्यंग्य तुम्हारा, उतना मेरा अंतर मानी
एक साथ कैसे रह पाए, मन में आग नयन में पानी

कभी-कभी मुस्काने वाले फूल-शूल बन जाया करते
लहरों पर तिरनेवाले मझधार कूल बन जाया करते
जितना गुंजित राग तुम्हारा, उतना मेरा दर्द मुखर
एक साथ कैसे पल पाए, मन में मौन अधर पर बानी।

सत्य सत्य है किंतु स्वप्न में भी कोई जीवन होता
स्वप्न अगर छलना है तो सत का सम्बल भी जल होता
जितनी दूर तुम्हारी मंज़िल उतनी मेरी राह अजानी
एक साथ कैसे मिल पाए, कवि का गीत संत की बानी।
एक साथ कैसे निभ पाए, सूना द्वार और अगवानी।।
Show comments

खाने में नमक की जगह मिलाएं ये चीज़ें, ब्लड प्रेशर भी रहेगा कम

क्या होता है डेवलपमेंट ट्रॉमा डिसऑर्डर? जानें बच्चों में दिखाई देने वाले इसके लक्षण

नन्ही-सी राजकुमारी के लिए चुनिए यूनीक और मीनिंगफुल नाम

आपकी दिनचर्या में दिखते हैं डायबिटीज के ये 8 लक्षण, जानें बचाव के उपाय

क्यों बुखार आने पर बच्चों के पैरों में होता है दर्द? जानिए इसका कारण और समाधान

पुरुषों के लिए बहुत फायदेमंद है जिनसेंग का सेवन, जानें 10 फायदे

पुरुष Intimate Hygiene के लिए फॉलो करें ये 5 टिप्स, नहीं होगा कोई संक्रमण

10 दिन के अंदर काटते रहें बच्चे के नाखून वरना हो सकते हैं ये 5 नुकसान

मत विभाजन का रुकना 2024 में महत्वपूर्ण निर्णायक मुद्दा है!

सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है Puppy Yoga, जानें इसे करने का सही तरीका