प्रेम गीत : एहसास

- कैलाश यादव 'सनातन'

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अगर मेरे गम का..... एहसास होता, कभी गम न देते,
मेरे संग होते......

अश्कों में मेरे, तुम डूब जाते, मुझको यकीं है, मेरे संग रोते...........
अगर मेरे गम का एहसास होता, कभी गम न देते,
मेरे संग होते......

लफ्ज मिले कब..... जज्बातों को, कलम कहां लिख पाई है आहें...........
गम की किस्मत लिखते हैं आंसू, पथरीली हैं.. उनकी राहें.............
अगर मेरे अश्कों का..... एहसास होता, कभी गम न देते....
अगर मेरे गम का एहसास होता, मेरे संग होते......
अश्कों में मेरे, तुम डूब जाते, मुझको यकीं है, मेरे संग रोते...........

सांसों की होती...... नहीं कोई भाषा, धड़कन की होती...... नहीं कोई बोली...........
इक गर है दामन.....तो दूसरा चोली........
दोनों सदा संग.... आते जगत में........
और जब हैं जाते...उठती हैं संग-संग
दोनों की डोली..............................

अगर मेरी संगत का, एहसास होता, कभी गम न देते..........
अगर मेरे गम का............... एहसास होता, मेरे संग होते......
अश्कों में मेरे, तुम डूब जाते, मुझको यकीं है, मेरे संग रोते...........

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