शेयर बाजारों में मंदे की आशंका

Webdunia
रविवार, 2 मार्च 2008 (15:29 IST)
आम बजट से निराश और वैश्विक शेयर बाजारों की गिरावट को देखते हुए आगामी सप्ताह यहाँ के शेयर बाजारों के मंदे की गिरफ्त में रहने की आशंका है। बीते सप्ताह उठापटक के बावजूद बम्बई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्स 230 अंक तथा नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 113 अंक ऊपर बंद हुए।

अमेरिका के आर्थिक आँकड़े कमजोर आने से वहाँ की अर्थव्यवस्था के मंदे की गिरफ्त में और जकड़ जाने के भय से शुक्रवार को शेयर बाजारों में खासी गिरावट देखी गई। देश में आगामी वित्तवर्ष के 29 फरवरी को पेश बजट में शेयर बाजारों के लिए ऐसा कुछ नहीं है, जिससे तेजी की उम्मीद बंधे।

बजट में अल्पकालिक कैपीटल गेन टैक्स को 10 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत किए जाने से कारोबारियों को निराशा हुई है, हालाँकि उद्योग जगत ने कुल मिलाकर बजट प्रस्तावों को सराहा है और विश्वास जताया है कि यदि वैश्विक संकेत उत्साहवर्द्धक मिलते हैं, तो अगले कुछ दिनों में बाजार में स्थिरता आ सकती है।

दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपीटल मार्केट्स लिमिटेड के प्रमुख का कहना है कि बजट प्रस्ताव आमतौर पर ठीक-ठाक हैं और इससे उपभोक्ता माँग बढ़ेगी, किंतु कैपीटल गेन टैक्स को लेकर बाजार खुश नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले यह सुविधा थी कि एसटीटी से होने वाली आय को कंपनी अपनी देनदारियों में शामिल कर सकती थी, अब यह सुविधा खत्म कर दी गई है। उधर टैक्स को भी 10 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।

अग्रवाल का कहना है कि बजट प्रावधानों से एफएमसीजी, ऑटोमोबाईल और औषधि क्षेत्र की कंपनियों के आसार अच्छे हैं, किंतु सीमेंट को लेकर स्थिति उत्साहवर्द्धक नजर नहीं आ रही है।

बीते सप्ताह शेयर बाजारों में उठापटक का दौर रहा। गुरुवार को वायदा एवं विकल्प कारोबार का निपटान था, जिसे देखते हुए बुधवार तक बाजार में कुछ लिवाली नजर आ रही थी। गुरुवार को बाजार में करीब-करीब स्थिरता दिखी और शुक्रवार को बजट प्रावधानों से शेयर बाजारों में गिरावट दिखी।

उठापटक के इस दौर के बावजूद बीएसई का सेंसेक्स 229.65 अंक अर्थात 1.32 प्रतिशत बढ़कर 17578.72 अंक पर बंद हुआ। सप्ताह के दौरान यह ऊँचे में 18137.28 और नीचे में 17137.99 अंक तक गया। एनएसई का निफ्टी 112.75 अंक बढ़कर 5223.50 अंक पर बंद हुआ।

बीते सप्ताह के दौरान 2008-09 का रेल बजट और 2007-08 के लिए आर्थिक समीक्षा भी पेश की गई। रेल बजट में यात्री और माल भाड़े में किसी प्रकार की बढ़ोतरी नहीं करने के साथ ही इनमें रियायतें और रेल नेटवर्क के आधुनिकीकरण और विस्तार पर जोर रहा।

आम बजट में कर घटाए जाने से दुपहिया, छोटी कार, औषधि, उपभोक्ता उत्पाद और पूँजीगत वस्तुओं के क्षेत्र के लिए काफी संभावनाएँ बनी हैं। मारुति सुजूकी और ह्यंदे जैसी छोटी यात्री कार बनाने वाली कंपनियों ने उत्पाद शुल्क घटाए जाने के लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचाने में देर नहीं लगाई और अपनी कारों के दाम कम किए जाने की घोषणा भी कर दी है।

दुपहिया वर्ग की कंपनियों ने भी इसका अनुसरण किया है। टायर उद्योग के लिए रियायतों से इनके दाम घटाने का सिलसिला भी शुरू हो गया। इस्पात कतरन पर सीमा शुल्क शून्य किए जाने से इसके सस्ते होने की उम्मीद जताई गई है।

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