सुकून-ए-दिल : मुनफ़रीद अशआर

Webdunia
शनिवार, 12 जुलाई 2008 (12:08 IST)
सुकून-ए-दिल जहान-ए-बेश-ओ-कम में ढूँढने वाले
यहाँ हर चीज़ मिलती है सुकून-ए-दिल नहीं मिलता-----जगन्नाथ आज़ाद

अब मुझको है क़रार तो सबको क़रार है
दिल क्या ठहर गया कि ज़माना ठहर गया-------सीमाब अकबराबादी

सुकून जब से है खतरा ये दिल को हर दम है
कहीं वो पूछ न बैठें कि दर्द क्यों कम है --------हकीम नातिक़

ज़िंदादिल ी
दिल दे तो इस मिजाज़ का परवरदिगार दे
जो रंज की घड़ी भी खुशी से गुज़ार दे--------दाग़

सबसे हँस कर मिलने वाले, हम को किसी से बैर नहीं
दुनिया है महबूब हमें, और हम दुनिया को प्यारे हैं ------जमील मलिक

ज़िन्दगी ज़िन्दादिली का नाम है
मुर्दा दिल खाक जिया करते हैं --------नासिख

न पूछ कैसे गुज़ारी है ज़िन्दगी ऎ दोस्त
बहुत तवील कहानी है फिर कभी ऎ दोस्त--------नामालूम

कहीं किसी से न रूदाद-ए-ज़िन्दगी मैंने
गुज़ार देने की शै थी गुज़ार दी मैंने ---------हकीम मखमूर

ये दुनिया रंज-ओ-राहत का ग़लत अंदाज़ा करती है
खुदा ही जानता है किस के दिल पर क्या गुज़रती है---- अकबर इलाहाबादी
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