पीड़ितों को नहीं मिला लाभ

Webdunia
रविवार, 8 जनवरी 2012 (00:48 IST)
स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में लागू 'विद्यार्थी सुरक्षा बीमा योजना' खुद बीमार हो गई है। प्रशासन की उदासीनता के कारण बच्चों के पीड़ित परिवारों को योजना का लाभ नहीं मिल सका। चंद प्रकरणों के निराकरण के बाद बीमा कंपनियों ने इस व्यवस्था से मुँह-सा मोड़ लिया है। इन सबके बीच लंबित प्रकरणों से जुड़े अधिकांश परिजन दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। ये परिवार अधिकांशतः गरीब व मजबूर तबके के हैं। हालत यह है कि वर्ष 11-12 में तो सरकार और कंपनियों के बीच बीमा योजना को लेकर अनुबंध तक नहीं हो पाया।


जिले में प्राथमिक से हायर सेकंडरी स्तर तक में अध्ययनरत बच्चों का प्रतिवर्ष एक रुपए प्रीमियम के मान से बीमा किया जाता है। किसी भी दुर्घटना व मृत्यु पश्चात बीमित बच्चों के परिजनों को क्लेम राशि भुगतान करना प्रस्तावित रहता है। जानकारी के अनुसार पिछले 5 वर्षों में 171 प्रकरण बनाए गए। इनमें 78 प्रकरण मृत्यु के हैं, जबकि शेष प्रकरण सामान्य दुर्घटना के हैं। इन वर्षों में कुल निराकृत 28 प्रकरणों में केवल 8 प्रकरण मृत्यु उपरांत क्लेम के हैं। कुल प्रकरणों में लगभग 4 लाख रुपए क्लेम राशि पारित की गई, जबकि लगभग 8 लाख रुपए प्रीमियम के रूप में जमा किए गए थे।


राशि में भी अंतर दिखा

इस योजना में वर्ष 09-10 में भी सरकार व कंपनी के बीच अनुबंध नहीं होने से कई विद्यार्थियों के परिजन लाभ नहीं ले सके। यही नहीं अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग बीमा कंपनियों से अनुबंध होने के कारण मृत्यु उपरांत मिलने वाली क्लेम राशि में अंतर देखा गया। इन वर्षों में दुर्घटना में मृत्यु के साथ-साथ फ्रेक्चर प्रकरणों में भी कुछ राशि क्लेम के रूप में दी गई है। जिला शिक्षा अधिकारी जीएस धुर्वे ने बताया कि बीमा कंपनियों से लगातार पत्राचार जारी है। 32 मामले उपभोक्ता फोरम में भी विचाराधीन हैं।


दर्द लिए भटक रहे

हाल ही एक सड़क दुर्घटना में कक्षा 11वीं में अध्ययनरत अपनी इकलौती बेटी को खो चुके पांडुलाल चौहान अब दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। ठेला चलाकर जीवनयापन करने वाले श्री चौहान अभी तक बेखबर हैं कि उनकी बेटी आरती का बीमा इस वर्ष हुआ ही नहीं है। उनकी शिकायत है कि संबंधित कोई भी विभाग उन्हें सही जानकारी नहीं दे रहा। इसी प्रकार अनकवाड़ी निवासी भावसिंह भी अपना दर्द लिए दर-दर भटक रहे हैं। चौथी कक्षा में अध्ययनरत उनका बेटा जितेन्द्र अकाल मौत का शिकार हो गया था। कई माह के बाद भी भावसिंह को भी क्लेम राशि नहीं मिल सकी है।


कंपनियों से पत्राचार के निर्देश

विद्यार्थियों की बीमा सुरक्षा शासन की पहली प्राथमिकता में है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के स्पष्ट निर्देश हैं कि इस व्यवस्था में कोताही नहीं बरती जाए। विभाग को निर्देश दिए हैं कि बीमा कंपनियों से पत्राचार कर लंबित प्रकरणों का निराकरण शीघ्र करवाए जाए। -डॉ. नवनीत मोहन कोठारी, कलेक्टर, खरगोन


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