तस्वीरों में कैद यादें

जिंदगी को फिर से दोहरा लो

गायत्री शर्मा
NDND
तस्वीरें लम्हों को कैद कर लेती हैं और अतीत के दरवाजे खोल देती है। ये मधुर स्मृतियों को समेटने का एक अच्छा माध्यम बनती हैं।

विवाह समारोह हो या पार्टी, फेयरवेल हो या वेलकम सभी तस्वीरों के बगैर अधूरे से हैं। जब हम तन्हाई में अपने पुराने फोटो की एलबम खोलकर बैठते हैं तब एक-एक करके हर लम्हा जीवंत हो उठता है और मानो तस्वीरें हमसे बातें करने लगती हैं।

* तस्वीरों से बनता है यादगार समारोह :-
कैमरे के बगैर हर समारोह फीका-फीका सा लगता है। शादियों में तो हम सजते-सँवरते ही कैमरे में कैद होने के लिए है। 'जरा मुस्कुरा दो' बस इतना ही कहना होता है कैमरामैन का और हम खिलखिलाकर हँसने लगते हैं। आजकल तो स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन को तोहफे देने वालों की गिनती भी एल्बम में तस्वीरें देखकर ही की जाती है।

हर समारोह में हमारी नजरें कैमरे पर गढ़ी रहती हैं कि काश उसके कैमरे में हमारी तस्वीर कैद हो जाए। किसी भी समारोह की यादों को संजोने के लिए पूर्व में ही कैमरामैन को बुक करना अब हमारे लिए एक अत्यावश्यक काम हो गया है।

आजकल बाजार में डिजिटल कैमरों के आने से अब तो पिक्चर क्वालिटी में भी बहुत अधिक सुधार आया है हालाँकि यह हमारी जेब पर भी भारी पड़ा है। अब एक शादी में दो दिन के लिए कैमरामैन की बुकिंग के चार्जेस 7000 रुपए से शुरू होकर 1 लाख रुपए तक होते हैं।

* लौट आती हैं यादें :-
तस्वीरें बोलती हैं, यह हकीकत है। जब हम तन्हाई या खुशी के क्षणों में अपनी एलबम के पन्ने पलटते-पलटते जब हमारी नजरें किसी तस्वीर पर आकर रुक जाती है तब तस्वीरें हमसे संवाद करती हैं और खोल देती है अतीत की यादों का वह पिटारा, जो कभी से इनमें कैद था।

अपने हर जन्मदिन पर दोस्तों को बुलाना और उनके साथ तस्वीरें खिंचवाना अब हमारा शौक बन गया है। शादी की हर वर्षगाँठ पर जब पति-पत्नी अपने विवाह की तस्वीरें देखते हैं तो एक पल के लिए फिर से वो उन यादों में खो जाते हैं और मन ही मन मुस्कुराते हैं।

* तस्वीर अच्छी है :-
हर समारोह में हम लोग चाहते हैं कि हमारी तस्वीर सबसे अच्छी आए। कई बार खराब तस्वीर आने पर हम इस बात का मलाल भी करते हैं कि काश थोड़े और रुपए खर्च करके अच्छा कैमरामैन करते तो आज इस समारोह की तस्वीरें यादगार बन जाती।

निष्कर्ष के रूप में हम यही कह सकते हैं कि कैमरे की आँखे हमारे उन भावों और लम्हों को कैद कर लेती है, जो हमारे लिए यादगार होते हैं। आप भी कैमरे की नजरों में कैद होकर तस्वीरों के माध्यम से अपने फुर्सत के उन पलों को जिएँ, जिन्हें आप अतीत में कहीं छोड़ आए हैं।

Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

मेडिटेशन करते समय भटकता है ध्यान? इन 9 टिप्स की मदद से करें फोकस

इन 5 Exercise Myths को जॉन अब्राहम भी मानते हैं गलत

क्या आपका बच्चा भी हकलाता है? तो ट्राई करें ये 7 टिप्स

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.