आंखों के लिए 'देव ज्योतिमुद्रा योग'

Webdunia
FILE
हाथों की 10 अंगुलियों से विशेष प्रकार की आकृतियां बनाना ही हस्त मुद्रा कही गई है। हाथों की सारी अंगुलियों में पांचों तत्व मौजूद होते हैं जैसे अंगूठे में अग्नि तत्व, तर्जनी अंगुली में वायु तत्व, मध्यमा अंगुली में आकाश तत्व, अनामिका अंगुली में पृथ्वी तत्व और कनिष्का अंगुली में जल तत्व।

जो व्यक्ति योगासन और प्राणायाम करने में अक्षम है उसके लिए हस्त मुद्राएं उपयो‍गी साबित हो सकती है बशर्ते की वह इसे नियमित करें। यह प्रस्तुत है नेत्र रोग में लाभदायक 'देव ज्योति मुद्रा' का परिचय।

इसला लाभ : देव ज्योतिमुद्रा सभी तरह के नेत्र रोग में लाभदायक सिद्धि हुई है। इस मुद्रा को करने से कम दिखना, आंखों में जाला और सूजन आदि जैसे रोग दूर हो जाते हैं। जिन बच्चों को कम उम्र मे ही चश्मा लग चुका हो वो अगर रोजाना देव ज्योतिमुद्रा का अभ्यास करें तो उनका चश्मा उतर सकता है।

मुद्रा विधि : अपने हाथ की तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे की जड़ में लगाने से देव ज्योतिमुद्रा बन जाती है। यह कुछ कुछ वायु मुद्रा जैसी है । लगभग 40-60 सेकंड तक आप इसी मुद्रा में रहने का अभ्यास करें। सुबह-शाम चार से 6 बार कर सकते हैं।

- वेबदुनिया डेस्क
Show comments

गर्भवती महिलाओं को क्यों नहीं खाना चाहिए बैंगन? जानिए क्या कहता है आयुर्वेद

हल्दी वाला दूध या इसका पानी, क्या पीना है ज्यादा फायदेमंद?

ज़रा में फूल जाती है सांस? डाइट में शामिल ये 5 हेल्दी फूड

गर्मियों में तरबूज या खरबूजा क्या खाना है ज्यादा फायदेमंद?

पीरियड्स से 1 हफ्ते पहले डाइट में शामिल करें ये हेल्दी फूड, मुश्किल दिनों से मिलेगी राहत

जर्मन मीडिया को भारतीय मुसलमान प्रिय हैं, जर्मन मुसलमान अप्रिय

Metamorphosis: फ्रांत्स काफ़्का पूरा नाम है, लेकिन मुझे काफ़्का ही पूरा लगता है.

21 मई : राजीव गांधी की पुण्यतिथि, जानें रोचक तथ्य

अपनी मैरिड लाइफ को बेहतर बनाने के लिए रोज करें ये 5 योगासन

क्या है Male Pattern Baldness? कहीं आप तो नहीं हो रहे इसके शिकार