सहज मुद्रा एक हस्तमुद्रा है। यह बहुत ही सरल है। प्रमुख 10 हस्त मुद्राओं के अलावा और भी कई हस्तमुद्राएं हैं उनमें से एक है सहज मुद्रा। यह वरुण मुद्रा की तरह है। बस थोड़ा सा ही फर्क है। वरुण मुद्रा में तीनों आंगुलियां मिलाकर रखते हैं जबकि इसमें नहीं।
सह ज हस् त मुद्रा विधि ( Sahaj Hasta Mudra yoga) : दोनों हाथों के अंगूठे के प्रथम पोर को सबसे छोटी अंगुली के प्रथम पोर से मिलाने पर सहज मुद्रा बनती है। बाकी की सारी अंगुलियां को आपस में मिलाने की जरूरत नहीं।
सावधानी : सहज मुद्रा का नियमित सिर्फ 30 दिन तक ही अभ्यास कर सकते हैं इससे ज्यादा नहीं।
मुद्रा का लाभ : इस मुद्रा का अभ्यास करने से शरीर सुंदर और कोमल बनता है। इस मुद्रा को करने से शरीर का रुखापन समाप्त हो जाता है। शरीर की त्वचा पर यदि छोटे-छोटे दाने, पित्त उछलते हो या पूरे शरीर पर लाल निशान पड़ गए हैं तो इसका नियमित अभ्यास करें। यह शरीर की खुजली में भी लाभदायक है।