2015 में 12 राशिनुसार शुभ फल प्राप्ति के उपाय

पं. अशोक पँवार 'मयंक'
मेष व वृश्चिक राशि-  इन राशियों का स्वामी मंगल है व वर्षारंभ में मंगल सूर्योदयी लग्न से मकर में उच्च राशि का होकर द्वितीय भाव में है। मंगल की शुभ स्थिति में साहस बल में वृद्धि, राजनीति के क्षेत्र में सफलता, पुलिस, सेना में उच्च पद, मकान भूमि से लाभ मिलता है। अशुभ स्थिति में बलहीनता, राजनीति में असफल, गुस्सैल स्वभाव, मकान भूमि से नुकसान या इनके व्यवसाय में हानि होती है। 


 

 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय : अशुभ प्रभाव दूर करने हेतु पत्रिका दिखाकर मूंगा वजनानुसार पहनें। प्रति 10 किलो पर 1 कैरेट के हिसाब से पहनें। मूंगा चांदी व तांबे में पहना जा सकता है। सोना भी उत्तम रहेगा। प्रति मंगलवार लाल गाय को सवा पाव गुड़ खिलाएं, अवश्य लाभ होगा।
 
 

 


वृषभ व तुला राशि- इन राशियों का स्वामी शुक्र वर्षारंभ में सूर्योदयी लग्न से होने से यह मकर के द्वितीय वाणी भाव में स्थित है। इसकी शुभता होने पर आर्थिक लाभ, शत्रुओं पर विजय मिलती है व इसकी अशुभता से आर्थिक नुकसान, धन की बचत का न होना, कर्ज का बढ़ना जैसी समस्या से दो-चार होना पड़ता है। 



 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय :  इसकी अशुभता को दूर करने हेतु शुक्रवार को एक स्टील की कटोरी शकर लक्ष्मीजी के मंदिर में रख आएं व शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में सवा 10 कैरेट का ओपल मध्यमा अंगुली में धारण करें। विवाह न होने पर स्नान करने के जल में थोड़ा-सा दही मिलाकर प्रति शुक्रवार को स्नान करें व खीर कन्याओं को शुक्रवार के दिन बांटें।
 
 

 


मिथुन व कन्या राशि- इन राशियों का स्वामी बुध है। वर्षारंभ में बुध शत्रु का होकर गुरु की राशि धनु में है। अशुभ फल में व्यापार में घाटा, नौकरी में परेशानी, जीवनसाथी से लाभ, रोजगार हेतु परिश्रम अधिक करना पड़ता है। 



 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय :  अशुभ प्रभाव को दूर करने हेतु सवा पाव खड़े मूंग की दाल गणेशजी के मंदिर में बुधवार को हरे कपड़े में बांधकर रख आएं। शुक्ल पक्ष के बुधवार को सवा 10 रत्ती का पन्ना कनिष्ठा में पहनें। प्रति बुधवार गणेशजी का दर्शन करें व एक हरा कपड़ा अवश्य पहनें। बिगड़े काम में सफलता मिलेगी।
 
 


 


कर्क राशि- इस राशि का स्वामी चन्द्र है। उसके शुभ प्रभाव से माता से लाभ, दूध-दही के व्यापार में सफलता, चांदी के व्यवसाय से लाभ होता है। अशुभ प्रभाव में माता को कष्ट, बेचैनी, अशांति, सफेद वस्तुओं के व्यापार से नुकसान की आशंका रहती है। 
 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय : अशुभ प्रभाव को दूर करने हेतु माता से चांदी का छल्ला दान में लेकर अपने पास रखें या पहनें। मोती सवा सात रत्ती का मून स्टोन के साथ बनवाकर सोमवार को धारण करें। चांदी का छल्ला भी पहन सकते हैं। सफेद गाय को पक्के चावल बनवाकर सोमवार को खिलाएं। माता को न सताएं व उनका आशीर्वाद लें। इस प्रकार चन्द्र के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
 
 


 

सिंह राशि- इस राशि का स्वामी सूर्य है। इसके शुभ प्रभाव से साहसी, महत्वाकांक्षी, सरकारी नौकरी में सफलता, राजनीति में सफल होते हैं व अशुभ प्रभाव होने पर साहस की कमी, जल्द घबरा जाना, सरकारी कामकाज में रुकावटें आती हैं। 
 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय :  इसे दूर करने हेतु रविवार को दूध-मिश्री मिला जल सूर्यदेव को चढ़ाएं व सवा सात रत्ती का माणिक अनामिका अंगुली में तांबे या सोने में बनवाकर रविवार को 9.00 से 11.15 तक पहनें। बहती नदी में तांबे का सिक्का बहाएं। इस प्रकार सूर्यजनित कष्टों से बचा जा सकता है। 
 

 


 


धनु व मीन- इन राशियों का स्वामी गुरु है, जो वर्षारंभ में उच्च का होकर वक्री है। वक्री ग्रह कार्य में बाधा, खंडित राजयोग देता है, मान-सम्मान में भी कमी का कारण बनता है। राजभय बना रहता है। 



 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय :  इसकी अशुभता दूर करने हेतु सवा 6 रत्ती का पीला पुखराज तर्जनी में गुरुवार सुबह धारण करें। प्रति गुरुवार को 7 केले किसी मंदिर या नि:शक्तजनों को दें। चने की दाल पीली गाय को खिलाएं। इस प्रकार गुरु के अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।
 
 


 


मकर व कुंभ- इन राशियों का स्वामी शनि है। वर्षारंभ में शनि सम राशि वृश्चिक का होकर द्वादश भाव में है। इसकी अशुभता से बाहरी मामलों में बाधा, धन की बचत का न होना, पराक्रम में कमी, भाइयों से मनमुटाव, साझेदारी में नुकसान होता है। 


 
शुभ फल प्राप्ति के उपाय : इसकी शुभता पाने के लिए कच्ची जमीन पर सरसों या तिल को तेल एक चम्मच डालें व पत्रिका दिखाकर सवा 5 कैरेट नीलम या कटैला धारण करें। खड़े उड़द काले कपड़े में बांधकर शनि मंदिर पर शनिवार को रख आएं। काला कंबल नि:शक्तजन को दें।
 
इस प्रकार राशिनुसार ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर कर सकते हैं। 


 
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