कैसा रहेगा ‍माह सितंबर

पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे
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दो सितंबर को ‍बुध हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप धान्य उत्पत्ति उत्तम होती है तथा वर्षा श्रेष्ठ होती है। उधर 6 सितंबर यानी शनिवार के दिन अनुराधा नक्षत्र होने से वर्षा इस दिन अवश्य होगी। यदि इस दिन वर्षा न हो तो आगे वर्षा न होने की आशंका है।

इस मास में ‍शनि से मंगल के द्वादश भाव में रहने और मंगल से शनि के द्वितीय भाव में रहने की स्थिति बनी है। अत: द्विद्वादश योग बनता है। इस द्विद्वादश योग के बनने से राष्ट्र पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

इसके कारण राष्ट्रविरोधी तत्व अपनी गतिविधियाँ तेज करेंगे। उधर अग्निकांड, विमान दुर्घटना, बम विस्फोट आदि दुर्घटनाअओं में वृद्धि होगी। जबकि धान्य के मूल्यों में कमी होगी। 15 सितंबर से मंगल चित्रा नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप गेहूँ, अलसी व अनाज में तेजी होगी। लोगों को रोगों से पीड़ा रहेगी।
  दो सितंबर को ‍बुध हस्त नक्षत्र में प्रवेश करेगा। इसके फलस्वरूप धान्य उत्पत्ति उत्तम होती है तथा वर्षा श्रेष्ठ होती है। उधर 6 सितंबर यानी शनिवार के दिन अनुराधा नक्षत्र होने से वर्षा इस दिन अवश्य होगी।      


शुक्र का हस्त नक्षत्र में प्रवेश करना रुई के भावों को कम कराएगा। राहु का श्रवण नक्षत्र में प्रवेश होने से (यानी वक्रगति से) से भी अनाज में तेजी आती है। बुध की स्थिति के कारण वायु का तेज प्रवाह रहेगा। परंतु मंगल के कारण कहीं-कहीं खंडवर्षा होगी। 16 सितंबर को सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेगा। इसके प्रभाव से उत्तर व पश्चिम के देशों में अशांति और पीड़ा होगी ।

जबकि इधर पूर्व के देशों में युद्ध की आशंका से भय का वातावरण बन सकता है। सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश दक्षिण के देशों में शुभ फल देता है। उधर शुक्र का तुला राशि में प्रवेश होने से पृथ्वी पर कुशलता तथा निरोग्यता रहेगी। इसके फलस्वरूप सभी धान्य महँगे होंगे तथा मूँग, उड़द, सूत, कपास विशेष महँगे रहेंगे। रुई तथा चाँदी के भाव में पहले तेजी और बाद में मंदी आएगी ।

चाँदी के भाव में उतार-चढ़ाव अधिक रहेगा। तेज हवा के साथ कुछ भागों में सामान्य वर्षा होगी जबकि कुछ भागों में तेज वर्षा होने के योग हैं। इसी प्रकार कहीं अल्पवर्षा और कहीं खंड वर्षा होगी। कुछ क्षेत्रों में वर्षा की कमी रहेगी। दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, असम, पंजाब, हिमाचलप्रदेश में कहीं अधिक तो कहीं कम वर्षा होगी।

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