चैत्र शुक्ल प्रतिपदा शुक्रवार से विक्रम संवत्सर विश्वावसु का प्रारंभ हो रहा है। यह दिन कल्पादि-सृष्ट्यादि तथा युगादि महोत्सव का महापर्व है। इस वर्ष उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के संधिकाल में नव संवत्सर का आरंभ हो रहा है, जो भारतीय जनमानस की दृष्टि से श्रेष्ठ है।
ज्योतिर्विदों का मत है कि दोपहर 12.40 पर रेवती नक्षत्र का आरंभ अमृतसिद्धि योग का निर्माण कर रहा है। पंचांग की गणना अनुसार शुक्रवार का दिन लक्ष्मी प्रदाता है। ब्रह्मयोग सुख सिद्धि तथा किस्तुघ्न करण जलवायु की दृष्टि से उत्तम है। यह स्थिति वर्ष पर्यंत शुभ फल प्रदान करेगी।
चहुंओर सुख-शांति व प्रगति : ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार शुभ संयोगों में आरंभ हो रहे विश्वावसु संवत्सर में देश उन्नाति करेगा। अन्न-जल की प्रचुरता रहेगी, कृषि, विज्ञान तथा तकनीकी, प्रशासन, राजनीति, योजना तथा वित्त आदि में श्रेष्ठ स्थिति बनेगी।
नववर्ष देगा मिश्रित फल : नववर्ष मिश्रित फलदायी होगा। पं. महेंद्र दीक्षित के अनुसार मौसम में परिवर्तन, सरकार की नीति के विरुद्ध जन आंदोलन, अग्निकांड, प्राणियों तथा आम जनजीवन में उथल-पुथल, राजनीतिक अस्थिरता के साथ सुख-सुविधा व अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के संकेत मिल रहे हैं।
क्या होगा राशियों पर प्रभा व
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ज्योतिषाचार्य पं. आनंदशंकर व्यास के अनुसार विश्वावसु संवत्सर में विभिन्न राशि के जातक सुख, सौभाग्य व सफलता का अनुभव करेंगे। कुछ राशियों की स्थिति कमजोर है, लेकिन समय चक्र में अनेक अवसर उन्हें भी उत्तम फल प्रदान करेंगे।
मेष- मान-सम्मान, प्रतिष्ठा तथा धन संपत्ति प्राप्ति के योग।
वृषभ- मध्यम फलदायी, धार्मिक कार्यों में व्यय की अधिकता।
मिथुन- अनुकूलता मिलेगी, यश, सफलता, प्रतिष्ठा तथा धन प्राप्ति के योग।
कर्क- राजकाज तथा प्रॉपर्टी में लाभ।
सिंह- मंगल के कारण संघर्ष की स्थिति, स्वास्थ्य कमजोर पश्चात लाभ।
कन्या- शनि की साढ़ेसाती के बावजूद प्रतिकूलता नहीं।
तुला- शनि कारक राजनीतिक योग, भूमि-भवन, पद-प्रतिष्ठा में लाभ।
वृश्चिक- साढ़ेसाती के कारण व्यय अधिक, कार्य में अवरोध, लेकिन स्थायी संपत्ति में विस्तार होगा।
धनु- अनुकूल समय लाभप्रद रहेगा, पद-प्रतिष्ठा तथा धन की प्राप्ति होगी।
मकर- संघर्ष व पीड़ा का समय, समय पर ग्रह स्थिति उत्तम फल प्रदान करेगी।