शनि अमावस्या पर ऐसे करें शनिदेव की आराधना

शनिदेव को अधिक प्रिय है शनि अमावस्या

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शनि अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव सभी को अभय प्रदान करते हैं। ऐसा शास्त्रों में उल्लेख किया गया है। सनातन संस्कृति में अमावस्या का विशेष महत्व है और अमावस्या अगर शनिवार के दिन पड़े तो इसका मतलब सोने पर सुहागा से कम नहीं।

यह दिन संकटों के समाधान के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन शनि की साधना करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।

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शनिदेव का श्याम वर्ण :

शनिदेव का रंग श्यामवर्ण है और अमावस्या की रात्रि भी काली होती है। दोनों के ही गुणधर्म एक समान हैं। इसलिए शनिदेव को अमावस्या अधिक प्रिय है। पूर्व से ही अमावस्या पर शनिदेव का पूजन शास्त्री, आचार्य, तांत्रिक विशेष रूप से करते हैं।


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शनि अमावस्या के दिन क्या करें :

* शनिवार का व्रत रखें।

* व्रत के दिन शनिदेव की पूजा (कवच, स्तोत्र, शनि चालीसा, मंत्र जप) करें।

* शनिवार व्रत कथा पढ़ना भी लाभकारी रहता है।

* व्रत में दिन में दूध, लस्सी तथा फलों के रस ग्रहण करें।

* सायंकाल हनुमानजी या भैरवजी का दर्शन करें।

* काले उड़द की खिचड़ी (काला नमक मिला सकते हैं) या उड़द की दाल का मीठा हलवा ग्रहण करें।


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भगवान शनि के मंत्र :

पौराणिक शनि मंत्र :
* ॐ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्‌।

वैदिक मंत्र-
* ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्रवन्तु नः॥

बीज मंत्र-
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

सामान्य मंत्र-
* ॐ शं शनैश्चराय नमः ।


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शनि अमावस्या : क्या करें दान :

* शनि की प्रसन्नता के लिए उड़द, तेल, इन्द्रनील (नीलम), तिल, कुलथी, भैंस, लोह, दक्षिणा और श्याम वस्त्र दान करें।

* किसी भी शनि मंदिरों में शनि की वस्तुओं जैसे काले तिल, काली उड़द, काली राई, काले वस्त्र, लौह पात्र तथा गुड़ का दान करने से इच्छित फल की प्राप्ति होती है।


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शनि का रत्न एवं धातु : शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या नाव की सतह की कील का बना छल्ला मध्यमा में धारण करें।

शनि की औषधि : प्रति शनिवार सुरमा, काले तिल, सौंफ, नागरमोथा और लोध मिले हुए जल से स्नान करें।

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शनि देवता के अन्य उपाय :

* शनिवार को अपने हाथ की नाप का 19 हाथ काला धागा माला बनाकर पहनें।

* शनिवार को सायंकाल पीपल वृक्ष के चारों ओर 7 बार कच्चा सूत लपेटें, इस समय शनि के किसी मंत्र का जप करते रहें। फिर पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्ज्वलित करें तथा ज्ञात अज्ञात अपराधों के लिए क्षमा मांगें।


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कैसे बनें शनि की कृपा का पात्र :

शनि की कृपा का पात्र बनने के लिए शनि अमावस्या को सभी जातकगण विधिवत आराधना करें।

जिन जातकों की कुंडली में साढ़ेसाती व ढैया का योग है। वे इस दिन शनिदेव का पूजन कर अच्छी सफलता प्राप्त कर दुष्परिणामों से छुटकारा पा सकते हैं।

भविष्यपुराण के अनुसार शनि अमावस्या शनिदेव को अधिक प्रिय रहती है।

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