शनि अमावस्या पर करें राशिनुसार उपाय

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22 नवंबर 2014 को शनि अमावस्या है। शनि ग्रह की पीड़ा से ग्रस्त व्यक्तियों के लिए शनि को प्रसन्न करने का सुअवसर है।


 

जिन जातक की पत्रिका में शनि का प्रभाव अशुभ हो उन्हें यथाशक्ति सरसों या तिल का तेल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से शनि का प्रकोप कम होता है। विशेष ध्यान रहे कि शनि की प्रतिमा से निगाह नहीं मिलाना चाहिए, क्योंकि शनि की दृष्टि शुभ नहीं मानी गई है। 
       
जानिए राशिनुसार शनि के उपाय
 
 


 


मेष राशि वालों के लिए शनि दशम भाव (राज्य, नौकरी, पिता, व्यापार) व एकादश भाव ( आय-बड़े भाई के लिए)  से संबंधित होने से शनि को अनुकूल बनाना आवश्यक है। उपायस्वरूप तेल को जमीन पर गिराना ठीक रहेगा। साथ ही छाया दान करने से बचें। 
 
 


 


वृषभ राशि वालों के लिए शनि (भाग्य, धर्म, यश भाव) के साथ दशम ( कर्म, राजनीति, पिता, व्यापार भाव) का स्वामी है। यदि यहां उसकी स्थिति अशुभ है तो शनि को प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल जमीन पर डालें। काले तिल स्नान करते समय जल में डालने से भी शनि का अशुभ प्रभाव कम होगा।
 
 


 


मिथुन राशि वालों के लिए शनि अष्टम (आयु भाव) के साथ नवम (भाग्य भाव) का स्वामी होने से अशुभ स्थिति में भाग्य को कमजोर करता है व स्वास्थ्य पर भी प्रभाव डालता है। अतः उपायस्वरूप तिल का तेल कच्ची जमीन पर डालें। 
 
 


 


कर्क राशि वालों के लिए शनि सप्तम जीवनसाथी व दैनिक व्यवसाय के साथ आयु भाव यानी अष्टम का भी स्वामी होगा। स्नान के वक्त काले तिल को जल में डालकर प्रयोग करें एवं सरसों का तेल शनि प्रतिमा पर चढ़ावें। काले या नीले फूल चढ़ाएं। 
 

 


 


सिंह राशि वालों के लिए शनि सप्तमेश व षष्ट (कर्ज-शत्रु भाव) का स्वामी होगा। शनि का अशुभ प्रभाव शांत करने के लिए सूर्य पुत्र शनि को प्रत्येक शनिवार सरसों का तेल अर्पित करें। शनिश्चर‍ी अमावस्या से इसे आरंभ कर सकते हैं। 
 
 


 


कन्या राशि वालों के लिए शनि पंचम (विद्या, संतान, प्रेम भाव) का स्वामी होने के साथ षष्ट भाव का स्वामी भी होगा। शनि का अशुभ प्रभाव हो तो उपरोक्त भाव से संबंधित हर रिश्ते और घटना को प्रभावित करता है। इसे शांत करने हेतु कच्ची जमीन पर तिल का तेल गिराएं। 
 
 


 


तुला राशि वालों के लिए शनि चतुर्थ (जनता, माता, स्थानीय राजनीति, मकान-भूमि) व पंचम (सं‍तान, विद्या भाव का स्वामी) होकर  सर्वाधिक कारक होता है। उनकी कृपा से ही सब सुखों में वृद्धि व संतान, विद्या लाभ रहता है। इनको प्रसन्न करने के लिए सरसों का तेल कच्ची जमीन पर गिराने से लाभ होगा।  
 
 


 


वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि तृतीय (पराक्रम, छोटा भाई व शत्रु के साथ साझेदारी) व चतुर्थ भाव का स्वामी होगा। इसे अनुकूल बनाने हेतु काले तिल का तेल जमीन पर गिराएं।
 
 


 




धनु राशि वालों के लिए शनि द्वितीय स्थान (वाणी, धन की बचत, कुटुंब व पराक्रम)  को प्रभावित करता है। इसे अनुकूल बनाने हेतु काले उड़द जल में डालकर स्नान करें व सरसों का तेल चढ़ाएं। 
 
 


 


मकर राशि वालों के लिए शनि लग्न व द्वितीय भाव का स्वामी होगा। अशुभ प्रभाव होने से कार्यक्षमता प पराक्रम को प्रभावित करेगा। अनुकूलता हेतु नीले फूल बहते जल में डालें व सरसों का तेल जमीन में गिराएं।  
 
 


 


कुंभ राशि वालों के लिए शनि द्वादश भाव (व्यय, बाहरी मामलों के साथ विदेश व स्वयं को)  प्रभावित करता है। इसे अनुकूल बनाने हेतु सरसों का तेल चढ़ाएं व उड़द जल में डाल कर स्नान करें। 
 
 


 

मीन राशि वालों के लिए शनि एकादश भाव (आय व व्यय भाव) का स्वामी होगा। इसके अशुभ होने से आय में कमी व विदेश जाने में रुकावटें आती हैं। शुभ परिणाम हेतु कच्ची जमीन पर काले तिल या सरसों का तेल गिराएं। 
 
ज्ञात हो कि शनि की दशा चल रही हो तब भी कच्ची जमीन पर तिल का तेल डालने से शुभफल मिलते हैं। 

 
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