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शारदीय नवरात्रि 2023: द्वितीय की देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र

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Brahmacharini Devi
Brahmacharini Devi 2023: मां ब्रह्मचारिणी नवरात्रि की दूसरी शक्ति हैं। शारदीय नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस माता के बारे में कहा जाता हैं कि भगवान शिव जी से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण ये ब्रह्मचारिणी कहलाईं। धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्म का अर्थ है तपस्या व चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली हुआ। 
 
आइए यहां जानिए कैसे होती है माता की पूजा, मंत्र और स्तोत्र
 
पूजा विधि- देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करते हुए नीचे लिखा मंत्र बोलें।
 
श्लोक- दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
 
ध्यान मंत्र- 
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
 
इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें। 
 
देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं।
 
इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और नीचे लिखे मंत्रों से प्रार्थना करें।
 
1. या देवी सर्वभू‍तेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
 
अर्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं। प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।
 
2. दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
 
इसके बाद देवी मां को प्रसाद चढ़ाएं और आचमन करवाएं। प्रसाद के बाद पान सुपारी भेंट करें और प्रदक्षिणा करें यानी 3 बार अपनी ही जगह खड़े होकर घूमें। प्रदक्षिणा के बाद घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें। इन सबके बाद क्षमा प्रार्थना करें और प्रसाद बांट दें। 

जानें पूजन के शुभ समय मुहूर्त
 
तिथि द्वितीया- 04:43 पी एम तक।
योग- प्रीति - 12:52 ए एम, अक्टूबर 17 तक।
 
ब्रह्म मुहूर्त- 03:32 ए एम से 04:19 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 03:55 ए एम से 05:05 ए एम
अभिजित मुहूर्त-10:50 ए एम से 11:39 ए एम
विजय मुहूर्त- 01:18 पी एम से 02:07 पी एम
गोधूलि मुहूर्त-05:24 पी एम से 05:47 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:24 पी एम से 06:34 पी एम
अमृत काल- 17 अक्टूबर 02:53 ए एम से 04:32 ए एम तक। 
निशिता मुहूर्त-10:51 पी एम से 11:38 पी एम

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। 'वेबदुनिया' इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।


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