सर्वाधिक पावन, मंगल और विशेष मुहूर्त : अक्षय तृतीया

पं. उमेश दीक्षित
मंगल कार्यों के लिए कुछ विशेष मुहूर्त माने गए हैं जिनमें मुख्य अक्षय तृतीया है। इस दिन किए गए कार्य अक्षय फल देते हैं। इस वर्ष मंगलवार, 21 अप्रैल को यह पर्व विशेष है। इस दिन वस्त्र, भोजन इत्यादि दान का बड़ा महत्व है तथा लक्ष्मी प्राप्ति, बुद्धि प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयोग निम्नलिखित हैं -


 
(1) श्वेतार्क गणपति प्राप्त कर प्रतिष्ठित करवा लें तथा सिन्दूर से चोला चढ़ाकर षोडषोपचार पूजन कर 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र की 21 माला जप पर 1 माला हवन कर लें। प्रत्येक बुधवार तथा चतुर्थी को इसी प्रकार करते रहें तथा चमत्कार देखें।
 

 


 


(2) नीम के गणपति इसी प्रकार पूजन-जप करने से शत्रु बाधा तथा सौर उपद्रव शांत हो जाते हैं।
 
 

 


(3) कहीं से एकाक्षी नारियल प्राप्त कर उसे बाजोट पर लाल वस्त्र बिछाकर चावल की ढेरी पर स्था‍पित करें तथा निम्न मंत्र से पूजन करें-
 
'ॐ ऐं ह्रीं श्रीं एकाक्षाय श्रीफलाय नम:'।
 
नैवेद्यादि लगाकर उपरोक्त मंत्र की 11 माला जपें तथा लाल वस्त्र में लपेटकर धन रखने के स्थान पर रख दें।
 
 


 


(4) लक्ष्मी यंत्र प्रतिष्ठित करवाकर लाल वस्त्र पर चावल की ढेरी पर स्थापित करें तथा पूजन कर 11-11 आंवले, कमल गट्टे चढ़ाएं तथा कमल गट्टे की माला से निम्न मंत्र की 11 माला जपें-
 
'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद
श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:।'
 

 


 


(5) श्री महालक्ष्मी प्राण-प्रतिष्ठित यंत्र को सामने पूर्व की तरह स्थापित कर निम्न यंत्र की 21 माला कमल गट्टे की माला से जपें-
 
'ॐ भाग्य लक्ष्म्यै च विद्महे अष्ट लक्ष्म्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात्।'
 
 
 

(6) कुबेर यंत्र की उपरोक्त तरह से स्थापना करें-



 

 
'ॐ वैश्रवणाय स्वाहा।'
 
या 
 
'ॐ वित्तेश्वराय नम:' की 51 माला जपें।
 
नोट- उपरोक्त प्रयोग यदि अर्द्धरात्रि में पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर, गौघृत का दीपक लगाकर एकांत कमरे में किए जाएं तो निश्चित लाभ होता है तथा देव-दर्शन भी हो सकता है। 

 
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