Festival Posters

हर तरह के पापों को मिटाने में सक्षम है अपरा एकादशी, जानें महात्म्य

Webdunia
* अपार धन देने वाली अपरा एकादशी का माहात्म्य जानिए...
 
हर तरह के पापों को मिटाने में सक्षम अपरा/अचला एकादशी, 11 मई 2018, शुक्रवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में मनाई जाएगी। जानें एकादशी का महात्म्य।

युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवन्! ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी का क्या नाम है तथा उसका माहात्म्य क्या है, सो कृपा कर कहिए?
 
भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे राजन! यह एकादशी ‘अचला’ तथा 'अपरा' दो नामों से जानी जाती है। पुराणों के अनुसार ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी अपरा एकादशी है, क्योंकि यह अपार धन देने वाली है। जो मनुष्य इस व्रत को करते हैं, वे संसार में प्रसिद्ध हो जाते हैं।
 
इस दिन भगवान त्रिविक्रम की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ब्रह्म हत्या, भू‍त योनि, दूसरे की निंदा आदि के सब पाप दूर हो जाते हैं। इस व्रत के करने से परस्त्रीगमन, झूठी गवाही देना, झूठ बोलना, झूठे शास्त्र पढ़ना या बनाना, झूठा ज्योतिषी बनना तथा झूठा वैद्य बनना आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं। अपरा एकादशी का व्रत तथा भगवान का पूजन करने से मनुष्य सब पापों से छूटकर विष्णुलोक को जाता है। 

ALSO READ: अपार खुशियां देती है अपरा एकादशी, पढ़ें पौराणिक व्रतकथा
 
जो क्षत्रिय युद्ध से भाग जाए वे नरकगामी होते हैं, परंतु अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी स्वर्ग को प्राप्त होते हैं। जो शिष्य गुरु से शिक्षा ग्रहण करते हैं फिर उनकी निंदा करते हैं, वे अवश्य नरक में पड़ते हैं मगर अपरा एकादशी का व्रत करने से वे भी इस पाप से मुक्त हो जाते हैं। जो फल तीनों पुष्करों में कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने या गंगा तट पर पितरों को पिंडदान करने से प्राप्त होता है, वही अपरा एकादशी का व्रत करने से प्राप्त होता है। 
 
मकर के सूर्य में प्रयागराज के स्नान से, शिवरात्रि का व्रत करने से, सिंह राशि के बृहस्पति में गोमती नदी के स्नान से, कुंभ में केदारनाथ के दर्शन या बद्रीनाथ के दर्शन, सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र के स्नान से, स्वर्णदान करने से अथवा अर्द्ध प्रसूता गौदान से जो फल मिलता है, वही फल अपरा एकादशी के व्रत से मिलता है।
 
यह व्रत पापरूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। पापरूपी ईंधन को जलाने के लिए अग्नि, पापरूपी अंधकार को मिटाने के लिए सूर्य के समान, मृगों को मारने के लिए सिंह के समान है। अत: मनुष्य को पापों से डरते हुए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए।


ALSO READ: ग्यारस/एकादशी की पावन आरती - ॐ जय एकादशी...

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Vrishchik Rashi 2026: वृश्चिक राशि 2026 राशिफल: पंचम के शनि और चतुर्थ भाव के शनि से रहें बचकर, करें अचूक उपाय

Margashirsha Month 2025: आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं तो मार्गशीर्ष माह में करें ये 6 उपाय

बुध ग्रह का वृश्‍चिक राशि में मार्गी गोचर 12 राशियों का राशिफल

Mulank 9: मूलांक 9 के लिए कैसा रहेगा साल 2026 का भविष्य?

Lal Kitab Kumbh Rashifal 2026: कुंभ राशि (Aquarius)- बृहस्पति संभाल लेगा शनि और राहु को, लेकिन केतु से रहना होगा सावधान

सभी देखें

नवीनतम

Trigrahi yog: वृश्चिक राशि में बना त्रिग्रही योग, 5 राशियों के लिए है बहुत ही शुभ समय

Gita Jayanti 2025: गीता जयंती आज, जानिए इस दिन क्या करें और क्या नहीं करें

Mokshada Ekadashi 2025 : मार्गशीर्ष माह की मोक्षदा एकादशी कब है, कब होगा पारण

Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी का व्रत कैसे रखें?

Gita Jayanti Wishes: गीता जयंती पर अपनों को भेजें ये 5 प्रेरणरदायी शुभकामना संदेश

अगला लेख