बस, इस एक प्रार्थना से प्रभावशाली बनता है व्यक्तित्व, चमकता है ओरा

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अपने प्रभामंडल/ आभामंडल/ओरा को दिव्य, चमकदार, उन्नत तथा सदैव सकारात्मकता की ओर अग्रसर करने हेतु यह प्रार्थना आश्चर्यजनक रूप से असरकारी है। एक बार आजमा कर देखें... 
 
प्रत्येक दिन सायं 7.30 बजे एक मोमबत्ती या दीपक जहां भी हो, जला लें। अकेले अथवा सामूहिक रूप से उसके सामने निम्न प्रार्थना करें : -
 
वयं हवनं करिष्यामहे। अस्मात्‌ अतिलोभं हर। दोषान्‌ स्मरामि। त्वां शरणं प्रपद्ये। गुणान्‌ स्मरामि। त्वां शरणं प्रपद्ये। आत्मज्ञानाय च। त्वां शरणं प्रपद्ये। प्रकाश गुणवान भव। शक्ति गुणवान भव। शांति गुणवान भव।


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अर्थात्- हे प्रकाशमित्र, जिस पर हम एकाग्र होते हैं, उसके गुण हमारे शरीर में गुणित होते हैं। पांच विज्ञान शाखाओं से यही प्रमाण प्राप्त होते हैं। इसलिए मैं तुम्हारे सामर्थ्य पर एकाग्र हो रहा हूं! 
 
हे विद्युतपुत्र, मेरी महत्वाकांक्षा पूरी करते समय दूसरों का कल्याण करना, यह मुझे अधिक लाभ देगा! इस श्रेष्ठ शक्तिदान और समता की एकता, केवल तुम में ही है। इसलिए, मैं तुम्हारे सामर्थ्य पर एकाग्र होकर शक्ति मांग रहा हूं! 
 
हे प्रकाशपिता सूर्य, सविता से प्राप्त हुई प्रकाशपुंज शक्ति, जो कि आभास्वरूप प्रकट हो दूसरों को प्राप्त होती है, इस तत्व को स्मरण तथा स्वीकार कर रहा हूं! हे तेजश्रेष्ठा, जैसे आप मुझे देते हैं, वैसे ही मैं भी लोगों को दूंगा। कम से कम जानकारी ही सही! 
 
हे तेजस्वी तमांत, तू आदित्य है, प्रभाकर है, दिवाकर है! तुम्हारे मार्तंड रूप से मैं आंतरबाह्य शुद्ध हो रहा हूं! सविता शक्ति से मेरे अवगुण कम हो रहे हैं। 
 
हे लोकबंधु! प्रकाशपते, मेरी सभी कामनाएं, तुम्हारे चक्र काल में पूरी हो जाएं। मैं, मेरे बच्चों का, परिवार का, देश का और विश्व का कल्याण चाहता हूं। इसका मुझे पूरा विश्वास है कि नियमानुसार यह सब हो जाएगा! यही आश्वासन मैं मुझे दे रहा हूं। तथास्तु! तथास्तु! तथास्तु! 
 
प्रतिदिन सायं 7.30 बजे व्यक्ति-विशेष के प्रभामंडल के चुम्बकीय चक्र में जहां-जहां ऋणात्मक धब्बे होते हैं वहां-वहां एक खास स्थान बन जाता है। उस वक्त अगर अग्नि तत्व के साथ रहा जाए तो उन स्थानों में सकारात्मकता लाई जा सकती है।

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